क्या केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नई रेल लाइन को मंजूरी दी है, इन राज्यों को मिलेगा लाभ?

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क्या केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नई रेल लाइन को मंजूरी दी है, इन राज्यों को मिलेगा लाभ?

सारांश

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रेल मंत्रालय के तहत नई रेल परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जो कनेक्टिविटी बढ़ाएंगी और रोजगार सृजन करेंगी। जानिए कैसे ये परियोजनाएं विभिन्न राज्यों को लाभ पहुंचाएंगी।

Key Takeaways

  • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12,328 करोड़ रुपए की चार नई रेल परियोजनाओं को मंजूरी दी।
  • ये परियोजनाएं कनेक्टिविटी और रोजगार के अवसर प्रदान करेंगी।
  • गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना, बिहार, और असम राज्य लाभान्वित होंगे।
  • परियोजनाएं पर्यावरण के अनुकूल होंगी और कार्बन उत्सर्जन को कम करेंगी।
  • आपूर्ति श्रृंखलाओं में सुधार और त्वरित आर्थिक विकास में सहायक होंगी।

नई दिल्ली, 27 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रेल मंत्रालय की लगभग 12,328 करोड़ रुपए की कुल लागत वाली चार परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इनमें शामिल हैं देशलपार-हाजीपीर-लूना और वायोर-लखपत नई लाइन, सिकंदराबाद (सनथनगर)-वाडी तीसरी और चौथी लाइन, भागलपुर-जमालपुर तीसरी लाइन और फुर्केटिंग-न्यू तिनसुकिया दोहरीकरण।

इन परियोजनाओं का मुख्य उद्देश्य यात्रियों और वस्तुओं का निर्बाध और त्वरित परिवहन सुनिश्चित करना है। ये पहल न केवल कनेक्टिविटी प्रदान करेंगी, बल्कि यात्रा की सुविधा में सुधार के साथ-साथ लॉजिस्टिक्स लागत को कम करेंगी और तेल आयात पर निर्भरता को घटाएंगी। इसके अतिरिक्त, ये परियोजनाएं कार्बनडाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने में सहायक होंगी, जिससे स्थाई और कुशल रेल संचालन को बढ़ावा मिलेगा। इन परियोजनाओं के निर्माण के दौरान लगभग 251 लाख मानव-दिवसों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार भी सृजित होगा।

प्रस्तावित नई रेल लाइन कच्छ क्षेत्र के दूरस्थ इलाकों को कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। यह गुजरात के मौजूदा रेलवे नेटवर्क में 145 रूट किमी और 164 ट्रैक किमी जोड़ेगी, जिसकी अनुमानित लागत 2526 करोड़ रुपए है। इस परियोजना की पूर्णता का अनुमानित समय 3 वर्ष है। इसके अलावा, यह लाइन नमक, सीमेंट, कोयला, क्लिंकर और बेंटोनाइट के परिवहन में भी सहायक होगी। इस परियोजना का रणनीतिक महत्व है, क्योंकि यह कच्छ के रण को कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। हड़प्पा स्थल धोलावीरा, कोटेश्वर मंदिर, नारायण सरोवर और लखपत किला भी रेल नेटवर्क में शामिल होंगे, जिससे 13 नए रेलवे स्टेशन जोड़े जाएंगे, जिससे 866 गांवों और लगभग 16 लाख की आबादी को लाभ होगा।

कनेक्टिविटी को व्यापक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए स्वीकृत मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाओं से लगभग 3,108 गांवों और लगभग 47.34 लाख की आबादी को फायदा होगा, जिससे कर्नाटक, तेलंगाना, बिहार और असम राज्यों को लाभ होगा। कर्नाटक और तेलंगाना में फैली 173 किलोमीटर लंबी सिकंदराबाद (सनथनगर)-वाडी तीसरी और चौथी लाइन की लागत 5012 करोड़ रुपए है और इसे पूरा होने में 5 वर्ष लगेंगे। बिहार में 53 किलोमीटर लंबी भागलपुर-जमालपुर तीसरी लाइन की लागत 1156 करोड़ रुपए है और इसे 3 साल में पूरा किया जाएगा। 194 किलोमीटर लंबी फुरकेटिंग-न्यू तिनसुकिया दोहरीकरण परियोजना की लागत 3634 करोड़ रुपए है और इसे 4 वर्षों में पूरा किया जाएगा।

बढ़ी हुई लाइन क्षमता से गतिशीलता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, जिससे भारतीय रेलवे की प्रचालनगत दक्षता और सेवा विश्वसनीयता में सुधार होगा। इन मल्टी-ट्रैकिंग प्रस्तावों से प्रचालनों का सुव्यवस्थित होना और भीड़भाड़ में कमी आना तय है। ये परियोजनाएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए भारत के विजन के अनुरूप हैं, जो क्षेत्र के लोगों को व्यापक विकास के माध्यम से 'आत्मनिर्भर' बनाएंगी, जिससे उनके रोजगार और स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

ये परियोजनाएं पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के अनुरूप बनाई गई हैं, जिनका उद्देश्य एकीकृत योजना और हितधारक परामर्श के माध्यम से मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक दक्षता को बढ़ाना है। गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना, बिहार और असम के 13 जिलों को कवर करने वाली ये चार परियोजनाएं भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क को लगभग 565 किलोमीटर बढ़ा देंगी।

ये कोयला, सीमेंट, क्लिंकर, फ्लाईऐश, स्टील, कंटेनर, उर्वरक, कृषि उत्पाद और पेट्रोलियम उत्पादों जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए आवश्यक मार्ग हैं। क्षमता वृद्धि कार्यों के परिणामस्वरूप 68 एमटीपीए (मिलियन टन प्रति वर्ष) की अतिरिक्त माल ढुलाई होगी। रेलवे के पर्यावरण अनुकूल और ऊर्जा कुशल परिवहन माध्यम होने के कारण यह जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और देश की लॉजिस्टिक लागत को कम करने, तेल आयात (56 करोड़ लीटर) में कमी लाने तथा कार्बनडाइऑक्साइड उत्सर्जन (360 करोड़ किलोग्राम) कम करने में मदद करेगा, जो 14 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।

प्रस्तावित परियोजनाओं का उद्देश्य कोयला, कंटेनर, सीमेंट, कृषि वस्तुओं, ऑटोमोबाइल, पीओएल, लोहा एवं इस्पात तथा अन्य वस्तुओं के परिवहन के लिए महत्वपूर्ण मार्गों पर लाइन क्षमता बढ़ाकर लॉजिस्टिक दक्षता में वृद्धि करना है। इन सुधारों से आपूर्ति श्रृंखलाओं के इष्टतम होने और त्वरित आर्थिक विकास में सहायता मिलने की उम्मीद है।

Point of View

यह पहल न केवल कनेक्टिविटी को बढ़ाने में मदद करेगी, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी सृजित करेगी। यह सभी राज्यों के लिए लाभदायक साबित होगी और भारतीय रेलवे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। हम सभी को इससे राष्ट्रीय विकास में योगदान देने का अवसर मिलेगा।
NationPress
11/12/2025

Frequently Asked Questions

इन परियोजनाओं की कुल लागत क्या है?
इन परियोजनाओं की कुल लागत लगभग 12,328 करोड़ रुपए है।
कौन से राज्य इन परियोजनाओं से लाभान्वित होंगे?
इन परियोजनाओं से गुजरात, कर्नाटक, तेलंगाना, बिहार और असम राज्य लाभान्वित होंगे।
नई रेल लाइन का निर्माण कब तक पूरा होगा?
नई रेल लाइन का निर्माण 3 से 5 वर्षों के बीच पूरा होगा, इसके आधार पर परियोजना की लंबाई और लागत के अनुसार।
इस परियोजना से रोजगार के कितने अवसर सृजित होंगे?
इन परियोजनाओं के निर्माण के दौरान लगभग 251 लाख मानव-दिवसों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होगा।
इन परियोजनाओं का पर्यावरण पर क्या प्रभाव होगा?
ये परियोजनाएं कार्बनडाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करेंगी और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन सुनिश्चित करेंगी।
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