क्या केरल में पूर्व विधायक पीवी अनवर के ठिकानों पर ईडी का छापा मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में है?
सारांश
Key Takeaways
- ईडी की कार्रवाई से मनी लॉन्ड्रिंग के गंभीर आरोपों का खुलासा हुआ है।
- लोन फंड्स का दुरुपयोग किया गया है।
- बेनामी संपत्तियों की पहचान की जा रही है।
- जांच के दौरान कई साक्ष्य बरामद हुए हैं।
- प्रवर्तन निदेशालय की विस्तृत जांच जारी है।
कोच्चि, 22 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने केरल में एक बड़े वित्तीय घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में पूर्व विधायक पीवी अनवर और उनसे संबंधित कई ठिकानों पर कार्रवाई की। प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए), 2002 के तहत जांच एजेंसी ने 21 नवंबर को एक व्यापक सर्च ऑपरेशन चलाया।
यह मामला 2015 में केरल फाइनेंशियल कॉर्पोरेशन (केएफसी) द्वारा दिए गए संदिग्ध और धोखाधड़ीपूर्ण लोन से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों पर आधारित है। ईडी ने जिन स्थानों पर सर्च की, उनमें मेसर्स मलमकुलम कंस्ट्रक्शन्स प्राइवेट लिमिटेड, पीवीआर डेवलपर्स, बिस मंजेरी एलएलपी और केएफसी की मलप्पुरम शाखा से जुड़े आवासीय, व्यावसायिक और संस्थागत ठिकाने शामिल थे। ये सभी ठिकाने 7.5 करोड़, 3.05 करोड़, 1.5 करोड़ और 1.56 करोड़ रुपए के लोन से जुड़े लेन-देन के दायरे में आते हैं। प्रारंभिक जांच में पता चला कि इन लोन को मंजूर करने में गंभीर अनियमितताएं हुईं और एक ही कोलैटरल प्रॉपर्टी का बार-बार इस्तेमाल किया गया, जिसके कारण कुल एनपीए 22.3 करोड़ रुपए तक पहुंच गया।
तलाशी के दौरान ईडी को ठोस सबूत मिले, जिनसे स्पष्ट होता है कि लोन फंड को स्वीकृत गतिविधियों के बजाय अन्य परियोजनाओं में लगाया गया। एजेंसी को नामधारी शेयरधारकों और डायरेक्टर्स का गलत इस्तेमाल तथा कई संपत्तियों के बेनामी मालिकाना होने के संकेत मिले। पीवी अनवर ने स्वीकार किया कि मलमकुलम कंस्ट्रक्शन्स के असली लाभार्थी वही हैं, जबकि कंपनी आधिकारिक कागजों में उनके भतीजों और ड्राइवर के नाम पर रजिस्टर्ड है। उन्होंने यह भी कहा कि लोन की बड़ी राशि को उनके बड़े टाउनशिप प्रोजेक्ट “पीवीआर मेट्रो विलेज” में निवेश किया गया।
ईडी ने संसाधनों की जांच में पाया कि अनवर के सहयोगियों के बयान भी यही दर्शाते हैं कि सभी दस्तावेज उनके निर्देश पर साइन किए जाते थे, फंड्स आपस में जुड़ी इकाइयों में ट्रांसफर किए जाते थे और कई बार कैश कलेक्शन आधिकारिक बहीखातों से बाहर किया जाता था। इसके अलावा, यह भी खुलासा हुआ कि पीवीआर मेट्रो विलेज में कई इमारतें स्थानीय निकाय की अनिवार्य मंजूरी लिए बिना ही बनाई गईं और इनमें अपराध से अर्जित धन का निवेश किया गया।
सर्च के दौरान बिस मंजेरी एलएलपी और मेट्रो विलेज से जुड़े परिसरों में स्कूल, अम्यूजमेंट पार्क, रिज़ॉर्ट, विला प्रोजेक्ट्स और अपार्टमेंट ब्लॉक्स जैसे बड़े निर्माण मिले, जो लोन फंड्स के दुरुपयोग की पुष्टि करते हैं। ईडी ने इस कार्रवाई में कई स्कूल एग्रीमेंट्स, वित्तीय दस्तावेज़, प्रॉपर्टी पेपर्स और डिजिटल डिवाइस बरामद किए। एजेंसी ने 15 बेनामी बैंक खातों की पहचान भी की, जिनसे संदिग्ध लेन-देन के सबूत मिले हैं।
छापेमारी के दौरान केएफसी अधिकारियों के बयान में कई गंभीर खामियां सामने आईं। अधिकारियों ने स्वीकार किया कि पुराने मॉर्गेज की ठीक से जांच नहीं की गई, पहले की वैल्यूएशन रिपोर्ट को बिना नए निरीक्षण के पुनः उपयोग किया गया और पुराने कर्ज की जानकारी लेने में भी कोताही बरती गई। ईडी जब्त सामग्री की जांच कर रही है ताकि अपराध से हुए लाभ, लोन फंड्स के दुरुपयोग, फंड लेयरिंग और बेनामी संपत्तियों के पूरे दायरे की पहचान की जा सके। एजेंसी ने कहा है कि पूरे मामले की विस्तृत जांच जारी है।