क्या केरल में सीएम ने कुलपतियों की पुनर्नियुक्ति पर राज्यपाल को पत्र लिखा?

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क्या केरल में सीएम ने कुलपतियों की पुनर्नियुक्ति पर राज्यपाल को पत्र लिखा?

सारांश

केरल में कुलपतियों की पुनर्नियुक्ति को लेकर राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच तकरार बढ़ गई है। क्या यह विवाद छात्रों के हितों के खिलाफ है? जानिए इस मामले की पूरी जानकारी।

Key Takeaways

  • राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच तकरार बढ़ता जा रहा है।
  • सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन किया गया है।
  • राज्य सरकार ने कानूनी सलाह मांगी है।
  • छात्रों के हित सर्वोपरि हैं।

तिरुवनंतपुरम, 1 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। केरल के राज्यपाल और पदेन कुलाधिपति राजेंद्र वी. आर्लेकर और मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के बीच कुलपतियों की पुनर्नियुक्ति को लेकर एक बार फिर विवाद उत्पन्न हो गया है।

राज्यपाल आर्लेकर ने के. शिवप्रसाद और सीजा थॉमस को क्रमशः एपीजे अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (केटीयू) और डिजिटल विश्वविद्यालय, केरल (डीयूके) के अंतरिम कुलपति के रूप में पुनर्नियुक्त किया। इसके कुछ ही घंटों बाद, मुख्यमंत्री विजयन ने उन्हें पत्र लिखकर इस निर्णय पर फिर से विचार करने की अपील की।

विजयन सरकार को इस बात की चिंता है कि आर्लेकर ने यह पुनर्नियुक्ति तब की, जब सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल और सरकार को निर्देश दिया था कि वे नियुक्तियों में राजनीति और छात्रों के हित का ध्यान रखें।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वे ए.पी.जे. अब्दुल कलाम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और केरल डिजिटल विज्ञान, नवाचार एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपतियों की नियुक्ति में राजनीति से बचते हुए छात्रों के हित को ध्यान में रखें।

शिवप्रसाद और थॉमस की नियुक्ति पूर्व राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने की थी, लेकिन 14 जुलाई को उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने उनकी नियुक्तियों को अमान्य कर दिया था।

हालांकि, आर्लेकर ने उच्च न्यायालय के निर्णय के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील की और वहां से अनुकूल फैसला प्राप्त कर शिवप्रसाद और थॉमस को पुनर्नियुक्त किया। इससे विजयन नाराज हैं, जिन्होंने तुरंत एक पत्र लिखकर इस नियुक्ति को रद्द करने का अनुरोध किया।

विजयन ने तर्क दिया कि शुक्रवार को की गई नियुक्तियां सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के खिलाफ थीं, क्योंकि नियुक्त किए गए लोग राज्य सरकार की सूची में नहीं थे।

राज्य के कानून मंत्री पी. राजीव और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. आर. बिंदु ने भी आर्लेकर की नियुक्तियों को सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन मानकर उनकी आलोचना की है।

वहीं, राज्य सरकार ने अब आर्लेकर द्वारा की गई नियुक्तियों पर कानूनी सलाह मांगी है और सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की संभावना है।

Point of View

लेकिन छात्रों के हितों की रक्षा करना सर्वोपरि है। राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच यह टकराव उस समय हुआ है जब सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि नियुक्तियां राजनीति से मुक्त होनी चाहिए। यह मामला केवल प्रशासनिक नहीं, बल्कि छात्रों के भविष्य का भी है।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

क्यों विवाद हो रहा है?
राज्यपाल ने कुछ कुलपतियों की पुनर्नियुक्ति की है, जो कि मुख्यमंत्री के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन है।
क्या राज्य सरकार ने कोई कदम उठाए हैं?
हां, राज्य सरकार ने आर्लेकर द्वारा की गई नियुक्तियों पर कानूनी सलाह मांगी है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्तियों के लिए राजनीति से दूर रहने और छात्रों के हितों को ध्यान में रखने का निर्देश दिया था।