क्या पीठ दर्द और साइटिका से छुटकारा पाने के लिए रोजाना शलभासन का अभ्यास करें?
सारांश
Key Takeaways
- शलभासन से पीठ की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।
- यह कमर दर्द और साइटिका से राहत देने में मदद करता है।
- शलभासन फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है।
- यह जांघों और नितंबों की चर्बी घटाने में सहायक है।
- यह मानसिक शांति और शारीरिक ताकत प्रदान करता है।
नई दिल्ली, 19 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। योगासन हमारे शरीर और मन के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। इन योगासनों में से एक प्रमुख आसन शलभासन है, जो शरीर को मजबूत करने के साथ-साथ रीढ़ की हड्डी को भी मजबूती देता है।
शलभासन हठयोग के सबसे प्रभावशाली आसनों में से एक है। 'शलभ' एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ 'टिड्डा' होता है। इस आसन की अंतिम मुद्रा एक टिड्डा के समान होती है, इसलिए इसे शलभासन कहा गया है। इसके नियमित अभ्यास से शरीर में ऊर्जा आती है और कई स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान मिलता है।
शलभासन करने के लिए सबसे पहले योगा मेट पर पेट के बल लेटें। अपने हाथों को आगे फैलाएं, हथेलियां ऊपर की ओर हों और पैर सीधे रहें। माथा या ठोड़ी जमीन को छूती हो। गहरी सांस लें और शरीर को स्थिर करें। सांस छोड़ते हुए दोनों पैरों को एक साथ धीरे-धीरे ऊपर उठाएं। पैरों को सीधा रखें और घुटनों को न मोड़ें। साथ ही हाथों को भी ऊपर उठाएं। यह स्थिति कुछ सुपरमैन पोज जैसी होती है।
इस स्थिति में 10-30 सेकंड तक रुकें। सामान्य रूप से सांस लेते रहें। इसके बाद धीरे-धीरे पैरों और छाती को जमीन पर लाएं और विश्राम करें।
आयुष मंत्रालय के अनुसार, शलभासन पीठ की मांसपेशियों को मजबूत करता है। यह कमर दर्द और साइटिका से राहत दिलाने, फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने और जांघों व नितंबों की चर्बी कम करने में सहायक है, जिससे शारीरिक ताकत और मानसिक शांति मिलती है। खासकर जो लोग घंटों बैठकर काम करते हैं, उनके लिए यह बहुत फायदेमंद है।
शलभासन से उदर को भी लाभ मिलता है और पाचन में सहायता होती है। पीठ के निचले हिस्से में अधिक दर्द होने पर इसे सावधानी से करना चाहिए।
हालांकि, आसन के नियमित अभ्यास से कई स्वास्थ्य समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है, लेकिन जिन्हें गंभीर स्वास्थ्य समस्या है या जिन्होंने कोई सर्जरी करवाई है, उन्हें यह योगासन करने से बचना चाहिए।