क्या किंग ऑफ रोमांस ने पिता की मर्जी के खिलाफ जाकर एक्टर बनने का फैसला किया?
सारांश
Key Takeaways
- विश्वजीत चटर्जी का जन्म 4 दिसंबर 1936 को हुआ।
- उन्होंने थिएटर से अपने करियर की शुरुआत की।
- उनकी कई फिल्में सफल रहीं, जिससे वे रोमांटिक हीरो बने।
- एक सलाह ने उनके करियर को नुकसान पहुंचाया।
- उन्होंने अपने करियर में कई बड़े सितारों के साथ काम किया।
नई दिल्ली, 13 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। हिंदी सिनेमा के अजर अमर रोमांटिक नायक और ‘किंग ऑफ रोमांस’ के नाम से प्रसिद्ध अभिनेता विश्वजीत चटर्जी का जन्मदिन 14 दिसंबर को मनाया जाएगा। थिएटर से अपने करियर की शुरुआत करने वाले विश्वजीत, अपने समय के सबसे हैंडसम हीरो में से एक माने जाते थे।
4 दिसंबर 1936 को कोलकाता में जन्मे विश्वजीत ने थिएटर आर्टिस्ट के रूप में अपने सफर की शुरुआत की और इसके बाद सुपरस्टार बनने तक का सफर तय किया। उनका बचपन कोलकाता में ही गुजरा, जहाँ उन्होंने नाटकों के माध्यम से अभिनय की दुनिया में कदम रखा। बंगाली फिल्मों से अपने करियर की शुरुआत करने के बाद, उन्होंने हिंदी सिनेमा में भी धूम मचाई और खुद को एक सुपरस्टार के रूप में स्थापित किया।
हिंदी सिनेमा को कई सफल फिल्में देने वाले चटर्जी का करियर एक फैसले के कारण धड़ाम हो गया था। उन्होंने ‘कोहरा’, ‘अप्रैल फूल’, ‘मेरे सनम’, ‘नाइट इन लंदन’, ‘दो कलियां’ और ‘किस्मत’ जैसी कई चर्चित फिल्में कीं। इन फिल्मों की सफलता ने उन्हें रोमांटिक हीरो की पहचान दी और वह अपने समय के ‘किंग ऑफ रोमांस’ बन गए।
उनकी फिल्मों में रोमांस की एक अनोखी छाप थी। विश्वजीत ने अपने करियर में आशा पारेख, वहीदा रहमान, मुमताज, और माला सिन्हा जैसी अदाकाराओं के साथ काम किया। वह हर भूमिका और एक्ट्रेस के साथ पूरी तरह से ढल जाते थे, जिससे दर्शक उनकी जोड़ियों की केमिस्ट्री को बेहद पसंद करते थे।
कहा जाता है कि विश्वजीत के पिता उनकी अभिनेता बनने की इच्छा के खिलाफ थे। वे चाहते थे कि उनका बेटा कोई स्थिर नौकरी करे, लेकिन उन्होंने अपने जुनून के चलते अभिनय के क्षेत्र को चुना। उन्होंने बंगाली सिनेमा और हिंदी फिल्मों में भी खास मुकाम बनाया।
उनके करियर का पीक पीरियड ऐसा था कि वह जो भी फिल्म करते थे, वह हिट हो जाती थी। हालांकि, एक समय ऐसा आया जब उनका करियर अचानक नीचे गिर पड़ा।
कहा जाता है कि जब उनका करियर अपने पीक पर था, तब एक दोस्त ने उन्हें फिल्म प्रोडक्शन में हाथ आजमाने की सलाह दी। इस सलाह को मानते हुए, उन्होंने 1975 में ‘कहते हैं मुझको राजा’ फिल्म का प्रोडक्शन और डायरेक्शन किया। इस फिल्म में धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, शत्रुघ्न सिन्हा और रेखा जैसे सितारों ने काम किया, लेकिन दुर्भाग्यवश फिल्म सफल नहीं हुई। इस असफलता ने विश्वजीत को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाया और अभिनेता के रूप में उनकी कमाई हुई पूंजी बर्बाद हो गई।
इस बड़े नुकसान के बाद उन्होंने फिर से एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा, लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला।