क्या भारी बारिश से किसान परेशानी में हैं? कर्ज माफी की मांग पूरी होनी चाहिए: अनिल देशमुख

सारांश
Key Takeaways
- किसानों को भारी बारिश से नुकसान हुआ है।
- सरकार ने कर्ज माफी के वादे को पूरा नहीं किया।
- अनिल देशमुख ने राहत पैकेज को अपर्याप्त बताया।
- किसानों के लिए तत्काल राहत की आवश्यकता है।
- विपक्षी दलों ने सरकार की नीतियों की आलोचना की है।
नागपुर, १७ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख ने महाराष्ट्र और केंद्र सरकार पर किसानों की अनदेखी का आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष भारी बारिश के कारण किसानों को भारी नुकसान हुआ है, जिससे वे आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। इसके बावजूद, दीपावली से पहले उन्हें कोई राहत नहीं मिली है, जिसके चलते एनसीपी (एसपी) ने इसे 'काली दीपावली' करार दिया है।
अनिल देशमुख ने आगे कहा कि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने किसानों से वादा किया था कि सत्ता में आने पर कृषि ऋण पूरी तरह माफ कर दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस आश्वासन को कई मंचों से दोहराया था। हालांकि, सरकार ने इस वादे को पूरा नहीं किया।
अनिल देशमुख ने कहा कि किसानों को राहत देने के लिए ९ अक्टूबर को सरकार द्वारा घोषित पैकेज अपर्याप्त है। यह किसानों की समस्याओं का समाधान करने में नाकाम रहा है। इसके विरोध में हमने मार्च निकाला और किसानों की पूर्ण कर्ज माफी की मांग की। सरकार की नीतियां किसान विरोधी हैं और तत्काल राहत पैकेज और कर्ज माफी की जानी चाहिए। यदि सरकार ने जल्द ही किसानों की मांगों को नहीं माना तो आंदोलन को तेज किया जाएगा।
अनिल देशमुख ने कहा, "भारी बारिश ने फसलों को तबाह कर दिया है, और किसानों के पास अब आजीविका का कोई साधन नहीं बचा है। ऐसे में सरकार का रवैया निराशाजनक है। केंद्र और राज्य सरकारों के हालिया फैसलों ने न केवल किसानों, बल्कि आम लोगों को भी मुश्किलों में डाल दिया है। महाराष्ट्र के किसान पहले से ही कर्ज के बोझ तले दबे हैं और प्राकृतिक आपदाओं ने उनकी स्थिति को बदतर कर दिया है। सरकार को तत्काल प्रभाव से किसानों के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए, जिसमें कर्ज माफी के साथ-साथ फसल बीमा और आपदा राहत कोष से सहायता शामिल हो।"
वहीं, विपक्षी दलों ने भी सरकार के रवैये की आलोचना की है। उनका कहना है कि दीपावली जैसे महत्वपूर्ण त्योहार से पहले किसानों को राहत न देना सरकार की संवेदनहीनता को दर्शाता है।