क्या कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है? किसानों की सेवा मेरी सबसे बड़ी पूजा: शिवराज सिंह चौहान

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क्या कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है? किसानों की सेवा मेरी सबसे बड़ी पूजा: शिवराज सिंह चौहान

सारांश

कृषि को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ और किसानों की सेवा को अपनी पूजा मानते हुए, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बिहार में किसानों के सामने उनकी समस्याएं सुनने और समाधान प्रस्तुत करने का वादा किया। क्या किसान वास्तव में अर्थव्यवस्था की आत्मा हैं?

Key Takeaways

  • कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
  • किसानों की समस्याओं का सही समाधान आवश्यक है।
  • मशीनीकरण और विज्ञान का उपयोग बढ़ाना होगा।
  • आवारा पशुओं की समस्या को हल करना जरूरी है।
  • किसानों को वैकल्पिक आजीविका स्रोतों का प्रोत्साहन दिया जाएगा।

पटना, 2 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय पटना में आयोजित किसान संवाद कार्यक्रम में किसानों को संबोधित किया। इस अवसर पर बिहार के कृषि मंत्री विजय कुमार और उपमुख्यमंत्री एवं पशुपालन एवं मत्स्य पालन मंत्री रेणु देवी भी उपस्थित रहे।

मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों की समस्याओं को सुनने और उनके समाधान के लिए ठोस कदम उठाने की बात कही।

उन्होंने कहा, "मैं किसानों का मेहमान नहीं हूं, बल्कि अनौपचारिक रूप से आपकी समस्याएं सुनने और समाधान खोजने के लिए यहां आया हूं। मैं कहना चाहता हूं कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, किसान इसकी आत्मा है, और किसानों की सेवा मेरी सबसे बड़ी पूजा है।”

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देते हुए कहा कि उनकी ‘राष्ट्र प्रथम’ नीति ने भारतीय कृषि को विदेशी ताकतों से संरक्षण प्रदान किया है। वैज्ञानिकों की पहुंच खेतों और गांवों तक होनी चाहिए, ताकि किसानों को नवाचार का लाभ मिले।

शिवराज सिंह चौहान ने बिहार के किसानों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने अपने स्तर पर शोध किए हैं, जो खेती को नई दिशा दे सकते हैं।

केंद्रीय मंत्री ने छोटे जोत वाले खेतों में मशीनीकरण और विज्ञान के प्रयोग की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “हमें प्रति हेक्टेयर उत्पादकता बढ़ाने और कृषि लागत को कम करने की जरूरत है। जमाखोरी पर सख्त कार्रवाई के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।”

उन्होंने आगे कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अश्वमेध का घोड़ा है; दुनिया की कोई ताकत उसे रोक नहीं सकती। कृषि मंत्री अगर दिल्ली में बैठा रहे तो वह किसान और खेती को नहीं समझ सकता। इसलिए मैं खेतों और गांवों में जाता हूं। हमारे किसान ही वैज्ञानिक हैं। विकसित कृषि संकल्प अभियान के दौरान मैं बिहार आया था। एक किसान ने बताया कि हमने लीची की शेल्फ लाइफ बढ़ा दी। तो मैंने पूछा, कैसे बढ़ाई? तो उन्होंने कहा कि ऊपर ग्लूकोज का लेप लगा दिया। ऐसे प्रयोग हमने इकट्ठे किए हैं और उन्हें वैज्ञानिक आधार प्रदान करेंगे।

आवारा पशुओं से फसलों को होने वाले नुकसान पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के साथ मिलकर इस दिशा में कदम उठाए जाएंगे। खेतों की घेराबंदी करने के साथ फसलों की सुरक्षा हम सब की जिम्मेदारी है।

उन्होंने बिहार में मौजूद 3 करोड़ मवेशियों के संरक्षण और उनकी देशी नस्लों के दुग्ध उत्पादन में वृद्धि की आवश्यकता पर जोर दिया।

शिवराज सिंह चौहान ने छोटे जोत वाले किसानों के लिए खेती के साथ-साथ पशुपालन, मत्स्य पालन और मधुमक्खी पालन जैसे वैकल्पिक आजीविका स्रोतों को बढ़ावा देने की बात कही, ताकि उनकी आय में वृद्धि हो।

उन्होंने प्रगतिशील किसानों के साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया और सभी से संकल्प लेने का आग्रह किया कि हम केवल स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता देंगे, ताकि आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को बल मिले।

Point of View

NationPress
02/08/2025

Frequently Asked Questions

कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था में कैसे योगदान देती है?
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जो न केवल रोजगार पैदा करती है, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित करती है।
किसानों की समस्याओं का समाधान कैसे किया जा सकता है?
सरकार को किसानों की समस्याओं को सुनकर उन पर ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, जैसे कि मशीनीकरण और वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग।