क्या आरबीआई आगामी एमपीसी बैठक में रेपो रेट को घटाकर 5 प्रतिशत तक लाएगा?

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क्या आरबीआई आगामी एमपीसी बैठक में रेपो रेट को घटाकर 5 प्रतिशत तक लाएगा?

सारांश

क्या आने वाली एमपीसी बैठक में आरबीआई रेपो रेट में कटौती करेगा? जानें संभावित बदलाव और अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव।

Key Takeaways

  • आरबीआई रेपो रेट में कटौती पर विचार कर रहा है।
  • महंगाई में कमी के संकेत मिले हैं।
  • फरवरी 2026 में अगली एमपीसी बैठक होगी।
  • बैंक की मौद्रिक नीति तरलता बनाए रखने पर केंद्रित है।
  • आर्थिक विकास का अनुमान 7.3 प्रतिशत किया गया है।

नई दिल्ली, 22 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की अगली मौद्रिक नीति बैठक (एमपीसी) फरवरी में आयोजित की जाएगी, जिसमें रेपो रेट को 25 बेसिस पॉइंट घटाकर 5 प्रतिशत तक लाने की संभावना है। यह जानकारी यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (यूबीआई) की एक नई रिपोर्ट में दी गई है।

यूबीआई ने इस रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि आरबीआई ने महंगाई में कमी और कीमतों पर दबाव में कमी के संकेत दिए हैं, इसलिए फरवरी या अप्रैल 2026 में यह अंतिम कट संभव है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि यदि सोने के कारण महंगाई में 50 बेसिस पॉइंट का असर कम किया जाए, तो कीमतों का दबाव और भी घट सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया है, "हमें लगता है कि फरवरी या अप्रैल 2026 में अंतिम 25 बेसिस पॉइंट की दर कटौती की संभावना है। नरम नीतिगत संकेतों को देखते हुए फरवरी 2026 की बैठक में रेपो रेट को घटाकर 5 प्रतिशत तक करने की संभावना को नकारा नहीं किया जा सकता, हालाँकि अंतिम ब्याज दर कटौती का समय निर्धारित करना आमतौर पर कठिन होता है।"

बैंक ने बताया कि समय निश्चित नहीं है क्योंकि फरवरी 2026 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) और जीडीपी के आधार वर्ष में परिवर्तन होने वाले हैं। इन कारणों से मौद्रिक नीति समिति वेट-एंड-वॉच की रणनीति अपना सकती है और संशोधित आंकड़े आने के बाद महंगाई और विकास के प्रवृत्तियों का पुनर्मूल्यांकन कर सकती है।

आरबीआई की एमपीसी ने दिसंबर में रेपो रेट को 25 बेसिस पॉइंट घटाकर 5.25 प्रतिशत किया है और अगली बैठक 4 से 6 फरवरी 2026 को निर्धारित की गई है।

आरबीआई ने वित्त वर्ष 2026 के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को संशोधित करते हुए 7.3 प्रतिशत कर दिया है क्योंकि घरेलू सुधार, जैसे आयकर में बदलाव, आसान मौद्रिक नीति और जीएसटी सुधार से बढ़ावा मिलने के कारण वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था में वृद्धि की संभावना है।

इस बीच, यस बैंक की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, यदि खाद्य कीमतों में गिरावट बनी रहती है तो आगे और कटौती का मौका कम हो सकता है, जब तक कि अर्थव्यवस्था में बड़ी कमजोरी नहीं आती।

आरबीआई की कोशिश है कि बाजार में पर्याप्त तरलता बनी रहे और रेपो रेट को आधार मानकर मौद्रिक नीति लागू की जाए।

Point of View

यह स्पष्ट है कि आरबीआई का निर्णय न केवल आर्थिक स्थिरता को प्रभावित करेगा, बल्कि यह आम लोगों की जीवनशैली को भी प्रभावित करेगा। हमें इस पर ध्यान देना चाहिए कि रेपो रेट में संभावित कटौती का असर महंगाई और विकास पर क्या होगा।
NationPress
22/12/2025

Frequently Asked Questions

आरबीआई रेपो रेट को कब घटा सकता है?
आरबीआई फरवरी 2026 में होने वाली एमपीसी बैठक में रेपो रेट को घटाने की संभावना पर विचार कर रहा है।
रेपो रेट घटने से क्या होगा?
रेपो रेट घटने से बैंकों की ब्याज दरें भी घट सकती हैं, जिससे लोन सस्ता होगा और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
महंगाई पर इसका क्या असर पड़ेगा?
यदि आरबीआई रेपो रेट में कटौती करता है, तो यह महंगाई को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
क्या यह कटौती अंतिम होगी?
रिपोर्ट के अनुसार, यह कटौती फरवरी या अप्रैल 2026 में अंतिम हो सकती है।
क्या खाद्य कीमतों का असर पड़ेगा?
यदि खाद्य कीमतों में गिरावट बनी रहती है, तो आगे और कटौती का मौका कम हो सकता है।
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