क्या केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बीज वितरण व्यवस्था पर नाराजगी जताई?

सारांश
Key Takeaways
- कृषि मंत्री की नाराजगी से किसानों की समस्याओं का उजागर होना।
- वितरण व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता।
- सरकार का ध्यान किसानों की मदद पर केंद्रित होना चाहिए।
विदिशा, 12 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। देश के विभिन्न हिस्सों के साथ-साथ मध्य प्रदेश में भी बीज रोपण का कार्य तेजी से हो रहा है, लेकिन इस दौरान वितरण व्यवस्था में कमी के कारण किसानों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस बीज वितरण व्यवस्था पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है।
विदिशा केंद्रीय कृषि मंत्री चौहान का संसदीय क्षेत्र है। इस दौरान उन्होंने विदिशा में दिशा समिति की बैठक में बीज वितरण और उपलब्धता के संबंध में अधिकारियों से जानकारी मांगी। हालांकि, अधिकारियों ने संतोषजनक उत्तर नहीं दिए, जिससे चौहान ने अपनी नाराजगी व्यक्त की।
कृषि मंत्री चौहान ने गंजबासौदा में घटिया सोयाबीन बीज की शिकायत पर गहरी चिंता जताई और कहा कि यह स्थिति चिंताजनक है। उन्होंने भंडारण प्रणाली और किसानों द्वारा बीज खरीदने की प्रक्रिया पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी। बैठक के दौरान जब चौहान ने बीजों के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी, तो अधिकारियों ने स्पष्ट उत्तर नहीं दिया, जिस पर उन्होंने फिर से नाराजगी जताई।
इतना ही नहीं, कृषि मंत्री ने जब अधिकारियों से बीजों का डेटा मांगा, तो वह भी उपलब्ध नहीं करा पाए। उन्होंने बीज निगम के अधिकारियों से सवाल किया कि किसानों के लिए आपने क्या प्रयास किए हैं? टारगेट कौन निर्धारित करता है? इसके अलावा, उन्होंने यह भी पूछा कि क्षेत्र में कितने किसान हैं और कितने क्षेत्र में सोयाबीन की बुवाई होगी, क्या इसका कोई अनुमान लगाया गया है?
जब अधिकारी सही जानकारी नहीं दे पाए, तो चौहान ने कहा कि किसानों की मदद कैसे होगी। उन्होंने अधिकारियों को रबी सीजन के लिए भी दिशा-निर्देश दिए और कहा कि यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसानों को किसी प्रकार की समस्या न हो। कृषि मंत्री ने सभी जनप्रतिनिधियों से अपील की है कि वे इस पर ध्यान रखें। वे कार्य की गुणवत्ता की जांच करें। यदि दिल में कार्य की तड़प है, तो तपना पड़ेगा। पीएम आवास, ग्रामीण सड़क जैसे कार्यों की सही तरीके से निगरानी करनी होगी।
अपने अनुभव साझा करते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि 'मैं पूरे देश में घूम रहा हूं, किसानों से मिल रहा हूं, लखपति दीदियों से मिलवा रहा हूं। यह आवश्यक है कि सेवा की ललक होनी चाहिए।'