क्या सज गई वृंदावन और मथुरा की कुंज गली, बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती केवल श्री कृष्ण जन्मोत्सव पर होती है?

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क्या सज गई वृंदावन और मथुरा की कुंज गली, बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती केवल श्री कृष्ण जन्मोत्सव पर होती है?

सारांश

कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा और वृंदावन में विशेष आयोजन होते हैं। भक्तगण इस दिन व्रत रखते हैं और रात को भगवान कृष्ण की आरती के बाद प्रसाद ग्रहण करते हैं। जानें जन्माष्टमी की विशेषताएँ और कार्यक्रम का पूरा विवरण।

Key Takeaways

  • कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हर वर्ष भाद्रपद मास में मनाया जाता है।
  • बांके बिहारी मंदिर की मंगला आरती विशेष महत्व रखती है।
  • मथुरा और वृंदावन में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है।
  • भक्तजन भगवान कृष्ण के प्रति अपने प्रेम का प्रदर्शन करते हैं।
  • झांकियों और नाटकों के माध्यम से भगवान कृष्ण के जीवन को दर्शाया जाता है।

मथुरा, १६ अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। सम्पूर्ण देश आज कृष्ण जन्मोत्सव के रंग में रंगा हुआ है। इस दिन भक्त पूरे दिन व्रत रखते हैं और रात में भगवान कृष्ण की आरती के बाद प्रसाद ग्रहण करते हैं। १६ अगस्त को वृंदावन और मथुरा समेत पूरे भारत में कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। वृंदावन में कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भक्तों की भारी भीड़ होती है और यहाँ की जन्माष्टमी विशेष रूप से अद्भुत होती है।

भक्तजन रातभर बांकेबिहारी मंदिर में राधे-राधे और कृष्ण के मंत्रों का जाप करते हुए उनके जन्मदिन की प्रतीक्षा करते हैं। वृंदावन और मथुरा की जन्माष्टमी कैसे होती है? इसका इतिहास क्या है और यहाँ का कार्यक्रम क्या है? आइए जानते हैं।

कृष्ण जन्माष्टमी के दिन मथुरा से लेकर वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर तक सभी मंदिरों को फूलों और लाइटों से सजाया जाता है। इस दौरान सड़कों पर भक्तों का तांता लगा रहता है। भक्त भगवान कृष्ण की झांकियां प्रस्तुत करते हैं और उनके जीवन के नाटकों का मंचन करते हैं। जगह-जगह कीर्तन और गीता का पाठ भी होता है।

कहा जाता है कि मधुबन में भगवान कृष्ण ने गोपियों के साथ नृत्य किया था, और जन्माष्टमी की रात वहाँ भक्तों की भारी भीड़ रहती है। हालाँकि, शाम के बाद वहाँ श्रद्धालुओं का जाना मना है। मधुबन को भी फूलों और रोशनी से सजाया जाता है।

बांके बिहारी मंदिर की मंगला आरती वृंदावन की जन्माष्टमी का प्रमुख आकर्षण है। कहा जाता है कि वर्ष में केवल एक बार जन्माष्टमी के दिन ही यह आरती की जाती है। इस वर्ष १६ अगस्त २०२५ को बांके बिहारी के दर्शन के लिए मध्यरात्रि को पट खुलेंगे। इसके बाद सुबह ३:३० बजे मंगला आरती आरंभ होती है और यह ५ बजे तक चलती है। इसके पश्चात बांके बिहारी जी को भोग अर्पित किया जाता है।

मथुरा में द्वारकाधीश मंदिर और कृष्ण जन्मभूमि आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र बन जाते हैं। यहाँ भी भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है। भक्त दिनभर भगवान कृष्ण के भजन-कीर्तन करते हैं, और कृष्ण भक्ति में डूबे लोग खुशी से नाचते-गाते हैं। यहाँ का दृश्य भक्ति और संगीत का अद्भुत संगम होता है।

कृष्ण जन्माष्टमी २०२५ मध्य रात्रि कार्यक्रम:

रात ११:०० बजे: गणपति और नवग्रह पूजा

रात ११:५५: फूलों और तुलसी के साथ सहस्र-अर्चना

रात ११:५९: पर्दे खुलते हैं और बांके बिहारी की पहली झलक दिखाई जाती है।

१२:००–१२:१०: प्राकट्य दर्शन और आरती

१२:१०–१२:२५: दूध, दही, घी, शहद से महाभिषेक

१२:२५–१२:४०: ठाकुर जी का जन्माभिषेक

१२:४५–१२:५० पूर्वाह्न: श्रृंगार आरती

१:५५–२:००: शयन आरती

३:३० पूर्वाह्न: मंगला आरती

सुबह ५:०० बजे: भोग अर्पित किया जाता है और दर्शन सुबह ६:०० बजे तक होते हैं।

–राष्ट्र प्रेस

जेपी/केआर

Point of View

जो न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि भारतीय संस्कृति की विविधता और समृद्धि को भी दर्शाता है। यह पर्व हर श्रद्धालु के लिए एक विशेष अनुभव लेकर आता है, जो हमें एकता और भाईचारे का संदेश देता है।
NationPress
16/08/2025

Frequently Asked Questions

कृष्ण जन्माष्टमी कब मनाई जाती है?
कृष्ण जन्माष्टमी हर वर्ष भाद्रपद मास की आठवीं तिथि को मनाई जाती है।
बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती कब होती है?
बांके बिहारी मंदिर में मंगला आरती केवल कृष्ण जन्माष्टमी के दिन होती है।
कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व क्या है?
कृष्ण जन्माष्टमी भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव है, जो भक्तों के लिए भक्ति और प्रेम का अवसर प्रदान करता है।
मथुरा में जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है?
मथुरा में जन्माष्टमी बड़े धूमधाम से मनाई जाती है, जहां भक्त भजन-कीर्तन करते हैं और भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।
क्या मधुबन में भी जन्माष्टमी मनाई जाती है?
हाँ, मधुबन में भी जन्माष्टमी मनाई जाती है, जहां भक्तों की भीड़ रहती है।