क्या कुलदीप सिंह सेंगर को मिली जमानत को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी?

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क्या कुलदीप सिंह सेंगर को मिली जमानत को सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी?

सारांश

कुलदीप सिंह सेंगर को मिली जमानत के खिलाफ सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। क्या यह जमानत कानून के अनुसार सही है? जानिए इस महत्वपूर्ण मामले का विश्लेषण।

Key Takeaways

  • सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत को चुनौती दी है।
  • पॉक्सो एक्ट के तहत विधायक को पब्लिक सर्वेंट माना जा सकता है।
  • सेंगर की जमानत पीड़ित की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकती है।
  • उम्रकैद की सजा को निलंबित करने के लिए अदालत की संतुष्टि आवश्यक है।
  • हाईकोर्ट ने सेंगर के आपराधिक इतिहास को नजरअंदाज किया है।

नई दिल्ली, 27 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। उन्नाव दुष्कर्म मामले में दोषी ठहराए गए पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाईकोर्ट से मिली जमानत के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की है।

सीबीआई ने याचिका में बताया कि हाई कोर्ट का निष्कर्ष गलत है कि एक विधायक पॉक्सो एक्ट के सेक्शन 5 के तहत 'पब्लिक सर्वेंट' की श्रेणी में नहीं आता। याचिका में कहा गया है कि बच्चों के यौन शोषण के मामले में सुरक्षा प्रदान करने वाले इस महत्वपूर्ण कानून के मूल तत्व को समझने में दिल्ली हाईकोर्ट ने गलती की है।

सीबीआई के अनुसार, यदि पॉक्सो एक्ट के सेक्शन 5(सी) को सही तरीके से और समग्र रूप से देखा जाए, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि इसमें 'पब्लिक सर्वेंट' का मतलब हर उस व्यक्ति से है जो अपनी शक्ति, पद, अधिकार या हैसियत का गलत इस्तेमाल करता है।

कुलदीप सेंगर का पद संवैधानिक है और इस पद के साथ शक्ति भी जुड़ी है, इसलिए पॉक्सो एक्ट के तहत उन्हें 'पब्लिक सर्वेंट' न मानना गलत है।

सीबीआई ने कहा कि यदि सेंगर को जमानत दी जाती है तो यह पीड़ित की सुरक्षा के लिए एक बड़ा ख़तरा होगा। सेंगर एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं, जिनके पास धन और बाहुबल है और वे जमानत मिलने पर पीड़ित और उनके परिवार को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

सीबीआई ने यह भी बताया कि बच्चों के साथ यौन शोषण जैसे गंभीर अपराध में सिर्फ जेल में समय बिताने के कारण कोई जमानत का हकदार नहीं हो जाता। उम्रकैद की सजा पाए व्यक्ति की सजा निलंबित करने का निर्णय तभी लिया जा सकता है, जब अदालत पहले दृष्टि में यह विश्वास कर सके कि आरोपी का उस मामले में दोष नहीं है।

सीबीआई ने कहा कि हाईकोर्ट ने कुलदीप सेंगर के आपराधिक इतिहास और इस निर्णय के सामाजिक न्याय प्रणाली पर प्रभाव को नजरअंदाज किया है।

Point of View

मेरा मानना है कि न्याय प्रणाली को हमेशा निष्पक्ष और पारदर्शी होना चाहिए। कुलदीप सिंह सेंगर के मामले में जमानत पर उठे सवाल गंभीर हैं और हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पीड़ितों की सुरक्षा सर्वोपरि हो।
NationPress
27/12/2025

Frequently Asked Questions

कुलदीप सिंह सेंगर को जमानत क्यों मिली?
दिल्ली हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दी, लेकिन सीबीआई ने इसे चुनौती दी है।
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में क्या कहा?
सीबीआई ने कहा कि हाईकोर्ट का निष्कर्ष गलत है और यह जमानत पीड़ित के लिए खतरा हो सकती है।
पॉक्सो एक्ट क्या है?
पॉक्सो एक्ट बच्चों के यौन शोषण से सुरक्षा प्रदान करता है।
क्या सेंगर की जमानत पीड़ितों के लिए खतरा है?
सीबीआई का मानना है कि सेंगर एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और जमानत मिलने पर वह पीड़ित को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
उम्रकैद की सजा पाए व्यक्ति को जमानत कैसे मिल सकती है?
केवल तब जब अदालत यह विश्वास कर सके कि आरोपी का उस मामले में दोष नहीं है।
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