क्या मध्य प्रदेश सरकार आदिवासियों को वन पट्टा देने की मंशा नहीं रखती?

सारांश
Key Takeaways
- आदिवासियों की उपेक्षा की जा रही है।
- सरकार का वन पट्टों पर कोई ध्यान नहीं है।
- कांग्रेस ने इस मुद्दे को विधानसभा में उठाया है।
- सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की अनदेखी हो रही है।
- राज्य में कई लाख पट्टे खाली पड़े हैं।
भोपाल, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने मोहन यादव सरकार पर यह आरोप लगाया है कि उनकी मंशा आदिवासियों को वन पट्टे देने की नहीं है। यही कारण है कि कांग्रेस ने इस मुद्दे को विधानसभा में उठाने का निर्णय लिया है।
उमंग सिंघार ने संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा कि सरकार आदिवासियों की लगातार उपेक्षा कर रही है। वन अधिकारों के तहत आदिवासियों को मिलनी वाली वन भूमि के पट्टों के मामले में सरकार पूरी तरह निष्क्रिय है। भाजपा की सरकार का आदिवासियों के प्रति कोई ध्यान नहीं है। जब तक मामले विधानसभा में नहीं उठाए जाते, तब तक सरकार इस पर ध्यान नहीं देती।
वर्तमान स्थिति की बात करें तो प्रदेश में कई लाख पट्टे खाली पड़े हैं। जरूरतमंद लोगों ने आवेदन दिए हैं, लेकिन सरकार पट्टे बनाने पर विचार नहीं कर रही है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी स्पष्ट रूप से कहा है कि 2006 के पहले के परिवारों को पट्टे दिए जाने चाहिए, लेकिन सरकार सिर्फ लॉलीपॉप देने का प्रयास कर रही है। आदिवासियों और अन्य समाज को पट्टे नहीं दिए जाने की मंशा के कारण कांग्रेस ने विधानसभा में मामला उठाया है।
राज्य सरकार मेट्रोपॉलिटन सिटी की बात कर रही है। इस पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह प्रयास ठीक है, लेकिन क्या विकास मेट्रोपॉलिटन सिटी के तहत सभी के लिए होगा या सिर्फ एक ही शहर के लिए? यह सब बाद में पता चलता है क्योंकि कार्य योजना बनती है।
राज्य विधानसभा का मानसून सत्र चल रहा है और कांग्रेस इस बार हमलावर है। राज्य की कानून व्यवस्था से लेकर बाढ़, किसानों की खाद बीज संबंधी समस्या और मुआवजा न मिलने का मुद्दा कांग्रेस पूरे जोर-शोर से उठा रही है। सदन के अंदर और बाहर कांग्रेस सरकार पर हर वर्ग की उपेक्षा का आरोप लगा रही है।