क्या अखिलेश यादव के परिवार के साथ आजम खान का नाता 45 साल पुराना है?
 
                                सारांश
Key Takeaways
- आजम खान का अखिलेश यादव के परिवार के साथ रिश्ता 45 साल पुराना है।
- रिश्ते बाहरी परिस्थितियों से प्रभावित नहीं होते।
- आजम खान ने जेल में रहते हुए अखिलेश यादव से मुलाकात की।
- मीडिया द्वारा बनाए गए नाराजगी के किस्से झूठे हैं।
- कानूनी सिस्टम का दुरुपयोग राजनीतिक प्रतिशोध का एक हिस्सा है।
रामपुर, 31 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान जब जेल से बेल पर बाहर आए, तो उनके आवास पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव उनसे मिलने पहुंचे थे। आजम खान का कहना है कि अखिलेश यादव के परिवार के साथ उनका नाता लगभग 45 साल पुराना है। ऐसे रिश्ते आसानी से नहीं टूटते हैं।
राष्ट्र प्रेस के साथ बातचीत में आजम खान से जब पूछा गया कि जब आप जेल में थे, तो क्या आपको उम्मीद थी कि अखिलेश यादव मिलने आएंगे। इस पर आजम खान ने कहा कि अखिलेश यादव जेल में भी कई बार आए थे। पिछली बार जब मैं तीन साल जेल में था, तब भी आए थे, और हाल ही में भी आए। कोई भी रिश्ते किसी के आने या न आने से नहीं बनते या बिगड़ते हैं। जब हमारे बीच वैचारिक और ऐतिहासिक लगाव हो, तो रिश्ता हमेशा बना रहता है। उनके परिवार के साथ मेरा नाता लगभग 45 साल पुराना है। रिश्ते नहीं टूटते।
उन्होंने कहा कि किसी रिश्ते को छोड़ना अच्छी बात नहीं है। जब भी आपको पता चले कि मुझे किसी ने छोड़ दिया, गलती उसकी होगी, मेरी नहीं। मैं छोड़ने में यकीन नहीं करता। जिस घर से 45 साल से रिश्ते हों, उन्हें कैसे छोड़ सकता हूँ? शिकवा, शिकायत, गलतफहमी हो सकती है, जो कल भी थी, आज भी है, और कल भी होगी। हम तब नहीं गए जब निकाले गए। एक फिल्म अदाकारा की वजह से हम निकले थे, जिसे हमने चुनाव लड़वाया था। लेकिन, बाद में हमारी वापसी भी हुई थी। फिर सोचा था कि संन्यास ले लेंगे, लेकिन उसे नहीं छोड़ेंगे जिससे अच्छे संबंध थे।
अखिलेश यादव के साथ नाराजगी की बातें पर आजम खान ने कहा कि ये सब मीडिया की बनाई बातें हैं, इनमें सच्चाई नहीं है।
आजम खान ने इस पर भी बात की कि अगर मुलायम सिंह यादव होते तो क्या उन्हें जेल में बिताने पड़ते। उन्होंने कहा, "जब मैं पिछली बार जेल में था, तब नेताजी जिंदा थे। लेकिन अब जो मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य है, उसमें कानून का सहारा लेकर पुलिस द्वारा झूठे मुकदमे कायम किए जाते हैं। ऐसे हालात में किसी आंदोलन से हमें फायदा नहीं, बल्कि नुकसान ही होता है। कई मौकों पर मुझे पहले से एहसास हुआ कि कुछ होने वाला है और मैंने उसे रोक भी दिया, क्योंकि हमें सड़कों पर नहीं, अदालतों में ट्रायल फेस करना था। इसलिए बहुत सी बातें खुद नहीं होने दीं।"
आजम खान ने कहा कि मेरे मुकद्दर में जुल्म लिखा था। लेकिन क्या आपके पास इस बात की गारंटी है कि अब मेरे साथ कुछ नहीं होगा? जमानत के मौके पर कपिल सिब्बल ने बहुत प्रयास किए। उन्होंने मुकदमे की सारी डिटेल अदालत में रखी। सुप्रीम कोर्ट के जज साहब ने कहा कि सभी में अभी प्रीलिमिनरी बेल दे देते हैं। लेकिन क्या गारंटी है कि अगला मुकदमा कायम नहीं होगा। जहां इतना जुल्म बर्दाश्त किया है, जिंदा रहे तो और भी जुल्म बर्दाश्त कर लेंगे।
 
                     
                                             
                                             
                                             
                                             
                             
                             
                             
                            