क्या आईपीएस सदानंद दाते की महाराष्ट्र वापसी से कानून-व्यवस्था में सुधार होगा?
सारांश
Key Takeaways
- सदानंद दाते की वापसी से महाराष्ट्र में कानून-व्यवस्था में सुधार की संभावना।
- बीएमसी चुनावों के लिए अनुभवी नेतृत्व की आवश्यकता।
- सदानंद दाते का एनआईए में कार्यकाल महत्वपूर्ण रहा है।
- अगले डीजीपी के रूप में उनकी नियुक्ति से पुलिस का मनोबल बढ़ेगा।
- राज्य की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होगी।
मुंबई, 23 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्र सरकार की कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक निर्णय में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के प्रमुख जनरल सदानंद वसंत दाते को तुरंत उनके मूल कैडर महाराष्ट्र में वापस भेजने की स्वीकृति दे दी है।
कैबिनेट की नियुक्ति समिति के अनुसार यह आदेश 22 दिसंबर को जारी किया गया। दाते 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं और केंद्र एवं राज्य दोनों स्तरों पर उन्हें एक अनुभवी और सख्त प्रशासनिक अधिकारी के रूप में जाना जाता है। एनआईए प्रमुख के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान कई संवेदनशील और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में एजेंसी की भूमिका को सशक्त माना गया।
यह निर्णय राजनीतिक और प्रशासनिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि जनवरी में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के चुनाव प्रस्तावित हैं।
बीएमसी देश की सबसे बड़ी नगरपालिकाओं में से एक है और इसके चुनावों के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखना राज्य पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती होती है। इस संदर्भ में अनुभवी और भरोसेमंद नेतृत्व की आवश्यकता को देखते हुए सदानंद दाते का नाम डीजीपी पद के लिए सबसे आगे चल रहा है।
सदानंद दाते को 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के दौरान ‘कामा एंड अल्ब्लेस’ अस्पताल में आतंकवादी अजमल कसाब से सीधे टकराने वाले साहसी अधिकारी के रूप में भी जाना जाता है। उस हमले में वे गंभीर रूप से घायल हुए थे, लेकिन कर्तव्य के प्रति उनकी निष्ठा और साहस ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। इसी कारण उन्हें एक ईमानदार, निडर और पेशेवर पुलिस अधिकारी माना जाता है।
यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब महाराष्ट्र के मौजूदा पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) रश्मि शुक्ला का कार्यकाल 31 दिसंबर को समाप्त हो रहा है। ऐसे में दाते को राज्य का अगला डीजीपी बनाए जाने की संभावना काफी मजबूत मानी जा रही है।
यदि दाते को महाराष्ट्र का नया डीजीपी नियुक्त किया जाता है, तो यह राज्य की कानून-व्यवस्था और सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा। प्रशासनिक हलकों में माना जा रहा है कि उनकी नियुक्ति से न केवल पुलिस बल का मनोबल बढ़ेगा, बल्कि आगामी चुनावों के दौरान निष्पक्ष और मजबूत सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने में भी मदद मिलेगी।