क्या अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ट्रंप के कार्यकारी आदेश की वैधता तय करेगा?
सारांश
Key Takeaways
- सर्वोच्च न्यायालय ट्रंप के कार्यकारी आदेश पर सुनवाई करेगा।
- गैर-अमेरिकी नागरिकों के बच्चों को नागरिकता का अधिकार नहीं दिया जा सकता।
- यह आदेश पिछले एक सदी की नागरिकता की प्रणाली को प्रभावित कर सकता है।
- राजनीतिक और सामाजिक प्रभावों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
- कई राज्यों ने इस आदेश को चुनौती दी है।
वाशिंगटन, 6 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय ने इस पर सहमति जताई है कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का वह कार्यकारी आदेश कानूनी है या नहीं, जिसमें अमेरिका में जन्म लेने वाले बच्चों को मिलने वाली नागरिकता को समाप्त करने की बात की गई है। यह प्रक्रिया पिछले एक सदी से अधिक समय से लागू है।
सिन्हुआ न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप ने 20 जनवरी को पद ग्रहण करने के बाद एक कार्यकारी आदेश जारी किया। इसमें फेडरल एजेंसियों से कहा गया कि 19 फरवरी के बाद जन्म लेने वाले बच्चों को नागरिकता न दी जाए, यदि उनके माता-पिता में से कोई भी अमेरिकी नागरिक नहीं है और न ही स्थायी निवासी है।
ट्रंप प्रशासन का तर्क है कि संविधान उन बच्चों को नागरिकता नहीं देता जिनके माता-पिता “अस्थायी रूप से आए हुए लोग” या “गैरकानूनी रूप से रह रहे लोग” हैं, क्योंकि ऐसे माता-पिता संविधान के अनुसार अमेरिका के “अधिकार क्षेत्र” में नहीं आते।
एग्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी होने के तुरंत बाद, इसे चुनौती देने वाले कई मुकदमे दायर किए गए। कई फेडरल जजों ने इस आदेश पर अस्थायी रोक लगा दी है।
27 जून को सर्वोच्च न्यायालय ने 6-3 के फैसले में कहा कि फेडरल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट इस आदेश पर पूरे देश में रोक लगाने का अधिकार नहीं रखतीं।
अब, जब सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले पर सुनवाई के लिए सहमति दे दी है, तो वह सीधे इस विवाद को सुलझाने की तैयारी में है।
सरकार का कहना है कि गैर-अमेरिकी नागरिकों के बच्चे अमेरिका के “अधिकार क्षेत्र” में नहीं आते, इसलिए उन्हें जन्म से स्वचालित नागरिकता नहीं मिलनी चाहिए। रिपब्लिकन पार्टी के नेतृत्व वाले 24 राज्यों और 27 सांसदों ने अदालत से इस नीति को सही ठहराने की मांग की है।
ट्रंप की आव्रजन नीतियों से जुड़े कई विवादों में यह मामला भी शामिल है, जिन पर निर्णय देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में अपील की गई है।
बता दें कि ट्रंप ने 20 जनवरी को इस आदेश पर हस्ताक्षर किए थे। इसमें फेडरल एजेंसियों को यह निर्देश दिया गया था कि यदि माता-पिता में से कोई भी अमेरिकी नागरिक या स्थायी निवासी नहीं है, तो 19 फरवरी के बाद पैदा हुए बच्चों को नागरिकता का अधिकार नहीं दिया जाए। इसके बाद, 20 से अधिक राज्यों और नागरिक अधिकार समूहों ने तुरंत इस आदेश को चुनौती देते हुए मुकदमे दायर किए और इसे स्पष्ट रूप से “गैर-संवैधानिक” बताया था।