क्या भारत के मुसलमानों को प्राकृतिक रूप से हिंदू धर्म में लौटना चाहिए? : स्वामी आनंद स्वरूप

सारांश
Key Takeaways
- स्वामी आनंद स्वरूप का कहना है कि भारतीय मुसलमान मूलतः हिंदू हैं।
- उन्हें अपने मूल धर्म में लौटने की सलाह दी गई है।
- आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, यह सभी धर्मों के लिए एक समान है।
- एकता का विचार सभी धर्मों को शामिल करना चाहिए।
- बॉम्बे उच्च न्यायालय के फैसले पर सवाल उठाने की जरूरत है।
हरिद्वार, २४ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए बम धमाकों के मामले में आरोपियों को बरी करने के बॉम्बे उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगा दी है। इस आदेश के बाद एमआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने महाराष्ट्र सरकार के कदम पर सवाल उठाए हैं, जिस पर शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष और काली सेना के संस्थापक स्वामी आनंद स्वरूप ने ओवैसी को टारगेट किया है।
उन्होंने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि ओवैसी मुसलमानों के नेता हैं, जो मुसलमानों के लिए उठते, बैठते, सोते और जागते हैं। जिस तरह से जमीयत उलेमा हिंद ने इस मामले में वाहवाही लूटने की कोशिश की है और न्यायपालिका का मजाक उड़ाया है, वह गलत है। अगर भारत सरकार या महाराष्ट्र सरकार बॉम्बे उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ नहीं जाती, तो काली सेना इस लड़ाई को आगे बढ़ाती। भारतीय मुसलमान स्वाभाविक रूप से मूलतः हिंदू हैं, उन्हें अपने मूल धर्म में लौट जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता। जिनको हाई कोर्ट ने बरी किया है, अगर हम उनके खिलाफ अपील नहीं करेंगे तो न्याय पर प्रश्न उठेगा। एकता का ठेका सिर्फ हिंदू धर्म के लोगों ने नहीं लिया है। जब आप मुश्किल में होते हैं, तभी आप एकता की तलाश करते हैं। यह दोहरा चरित्र ओवैसी जैसे लोगों का है।
उन्होंने कहा कि उनके लोग हमेशा से बयान देते आ रहे हैं। वे काफिरों के कत्ल की बात करते हैं, काफिरों को नीचा दिखाते हैं और त्योहारों पर नहीं जाने की बात करते हैं। एक हिंदू जाकर टोपी पहनकर ईद मनाता है, लेकिन आपने किसी मुसलमान को होली या दीवाली