क्या भारत-यूके एफटीए देश के लिए एक सकारात्मक कदम है? : सुप्रिया सुले

सारांश
Key Takeaways
- भारत-यूके एफटीए देश के लिए सकारात्मक कदम है।
- आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
- कानून व्यवस्था की स्थिति पर चिंता जताई गई।
- महाराष्ट्र सरकार के कर्तव्यों पर सवाल उठाए गए।
- प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दी गई।
पुणे, 26 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। एनसीपी (एससीपी) सांसद सुप्रिया सुले ने विभिन्न मुद्दों पर खुलकर अपनी राय व्यक्त की। भारत और यूके के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह देश के लिए एक सकारात्मक कदम है।
उन्होंने स्पष्ट किया, "जबसे हमारी अर्थव्यवस्था खुली है, फ्री ट्रेड पर चर्चा अनिवार्य है। हमें आत्मनिर्भर बनना चाहिए, साथ ही अन्य देशों में निर्यात करने की क्षमता भी बढ़ानी चाहिए। यह देश के हित में है। जितना अधिक हम व्यापार करेंगे, उतने ही अधिक आत्मनिर्भर बनेंगे और अन्य देशों की भी मदद करेंगे। यह समझौता आर्थिक विकास के लिए एक अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए और इसका कार्यान्वयन पारदर्शी और प्रभावी तरीके से होना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दूसरे सबसे लंबे समय तक पदभार संभालने पर सुप्रिया सुले ने बधाई दी। उन्होंने कहा, "पीएम मोदी ने इंदिरा गांधी का रिकॉर्ड तोड़ा है, इसके लिए उन्हें शुभकामनाएं। हम उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं। पंडित जवाहरलाल नेहरू सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहे, फिर इंदिरा गांधी, और अब पीएम मोदी ने यह उपलब्धि अपने नाम की है। इसके लिए हम उन्हें बधाई देते हैं।"
सुप्रिया सुले ने महाराष्ट्र सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, "पुणे एक संस्कारी और शैक्षणिक शहर था, जहां बच्चे पढ़ाई के लिए आते थे और आईटी उद्योग फल-फूल रहा था। लेकिन, अब यहां गुंडागर्दी बढ़ गई है। हर हफ्ते कानून व्यवस्था पर बात करनी पड़ती है। महाराष्ट्र में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति चिंताजनक है और इसके लिए राज्य सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है।"
महाराष्ट्र के कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे के बयान पर सुप्रिया सुले ने कहा, "यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। वह किसानों का अपमान करके और सरकार को भिखारी कहकर महाराष्ट्र की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा रहे हैं। सरकार की तुलना भिखारी से करना उचित नहीं है। हमें महाराष्ट्रीयन और भारतीय होने पर गर्व है। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्हें इस्तीफा देना चाहिए क्योंकि वह जनता, व्यवस्था और किसानों का अपमान कर रहे हैं।"