क्या भारतीयों को नेपाल में हो रही हिंसा को लेकर चिंता करने की आवश्यकता है?

सारांश
Key Takeaways
- आपातकालीन स्थिति में सरकार सक्रिय रहती है।
- स्वास्थ्य सुविधाएं और सहायता उपलब्ध कराई जाती हैं।
- सुरक्षित निकासी की योजनाएं बनाई जाती हैं।
- स्वास्थ्य क्षेत्र में दीर्घकालिक विकास पर ध्यान दिया जा रहा है।
- जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है।
मुंबई, 10 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश आबिटकर ने नेपाल में चल रही हिंसा और विरोध प्रदर्शनों के संदर्भ में कहा कि ऐसी आपात स्थितियों में महाराष्ट्र सरकार और भारत सरकार हमेशा सक्रिय भूमिका निभाती रही हैं। नेपाल में हमारे नागरिकों को घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है।
मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि आपातकालीन स्थिति में नागरिकों को स्वास्थ्य सुविधाएं, सुरक्षित निकासी और अन्य सहायता प्रदान करने के लिए दोनों स्तरों पर समन्वित प्रयास किए जाते हैं। हमारी अपील है कि घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है। नागरिक सरकार के साथ संपर्क में रहें, हम अच्छे से सहायता करेंगे।
भारत के विदेश मंत्रालय ने भी नेपाल में फंसे भारतीयों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है।
सीआईआई के कार्यक्रम में स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत का दीर्घकालिक विजन, विशेष रूप से 2047 तक विकसित भारत के मिशन के तहत महत्वपूर्ण प्रगति पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद समाज में स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ गई है, जो एक सकारात्मक बदलाव है। यह जागरूकता बनाए रखना और मजबूत करना आवश्यक है ताकि स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ, सस्ती और प्रभावी बनाई जा सकें।
सीपी राधाकृष्णन के उपराष्ट्रपति पद के चुनाव जीतने पर उन्होंने कहा कि हम सभी उन्हें अपनी ओर से ढेर सारी शुभकामनाएं देते हैं। वे महाराष्ट्र के राज्यपाल रह चुके हैं। महाराष्ट्र के राज्यपाल का उपराष्ट्रपति बनना हमारे लिए गौरव की बात है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा, "महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को भारत के 17वें उपराष्ट्रपति चुने जाने पर हार्दिक बधाई। संसद में एक सांसद के रूप में उनका कार्य, साथ ही विभिन्न राज्यों के राज्यपाल के रूप में उनकी उल्लेखनीय सेवाएं अनुकरणीय रही हैं। मुझे विश्वास है कि आपके अनुभव और दूरदर्शी मार्गदर्शन से राज्यसभा की प्रतिष्ठा निश्चित रूप से बढ़ेगी।"