क्या बिहार के बाद भाजपा बंगाल में भी जीत हासिल करेगी?
सारांश
Key Takeaways
- विपक्ष का विरोध उनकी संभावित हार का संकेत है।
- बिहार में एसआईआर के पारदर्शी चुनाव हुए।
- पश्चिम बंगाल में भाजपा की जीत का दावा।
- अवैध निवासी देश छोड़ने की स्थिति में हैं।
- बाबा नीब करौरी का आध्यात्मिक महत्व और उनके संदेश।
फिरोजाबाद, 27 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ विपक्षी दलों के विरोध पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि विपक्ष अपनी संभावित हार के भय से एसआईआर पर सवाल उठा रहा है। इस दौरान, ब्रजेश पाठक ने बिहार की तरह पश्चिम बंगाल में भी भाजपा की जीत का दावा किया।
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने फिरोजाबाद में मीडिया से बात करते हुए कहा, "विपक्ष जो कुछ भी कह रहा है, वह उनकी संभावित हार के डर को दिखाता है। बिहार में एसआईआर लागू किया गया, तो एक भी वोटर ने यह दावा नहीं किया था कि उसका नाम हटाया गया। चुनाव पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से हुए। बिहार की जनता ने 'जंगलराज' को कभी भी वापस न लाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की गरीब कल्याण की योजनाओं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सुशासन पर मुहर लगाई है।
उन्होंने आगे कहा, "पश्चिम बंगाल में भी भाजपा भारी बहुमत से जीतेगी। पिछली बार हार का अंतर बहुत कम था, इस बार हम निर्णायक जीत हासिल करेंगे। एसआईआर लागू होने के बाद से अवैध तरीके से रहने वाले लोगों में भगदड़ है। वे देश छोड़कर भाग रहे हैं। आगे भी अवैध तरीके से आए लोगों को देश के बाहर करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।"
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने गुरुवार को बाबा नीम करौरी की जन्मस्थली अकबरपुर का दौरा किया। इस दौरान, उन्होंने बाबा के पैतृक घर और मंदिर में पूजा-अर्चना की और वहां एक किताब का विमोचन भी किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "फिरोजाबाद स्थित पूज्य संत बाबा नीब करौरी जी महाराज के अकबरपुर स्थित जन्मस्थली धाम पर पत्नी के साथ जाकर बाबा नीब करौरी जी महाराज का आशीर्वाद प्राप्त करने का परम सौभाग्य मिला।"
बाबा नीब करौरी के बारे में ब्रजेश पाठक ने बताया कि उनका जन्म उत्तर प्रदेश के अकबरपुर में 1900 के आसपास हुआ था। उनका असली नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। गृहस्थ जीवन त्याग कर वे आध्यात्मिक यात्रा पर गए थे। उन्होंने कई स्थानों का भ्रमण किया।
उपमुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 1964 में नैनीताल के पास कैंचीधाम आश्रम की स्थापना की गई। मान्यता है कि एक बार ट्रेन में यात्रा करते समय उन्हें नीब करौरी गांव के पास उतार दिया गया, तो वे वहीं बैठ गए। स्टेशन पर उनके बैठने के बाद ड्राइवर ने ट्रेन चलाने का प्रयास किया लेकिन ट्रेन नहीं चली। बाबा को मनाने के बाद ही ट्रेन अपने गंतव्य की ओर रवाना हो सकी। यही कारण है कि उन्हें नीब करौरी बाबा के नाम से जाना जाता है।
ब्रजेश पाठक के अनुसार, गुजरात के मोरबी में बाबा नीब करौरी ने तपस्या की और कई सिद्धियां प्राप्त कीं। बाबा नीब करौरी हमेशा सेवा भावना को महत्व देते थे। उनके संदेशों में दैनिक पूजा, ब्रह्म मुहूर्त में उठना, मौन रहना और सबके प्रति प्रेम भाव रखना शामिल है।