क्या बिहार की जनता तेजस्वी के जंगलराज के सपने को साकार होने देगी?
सारांश
Key Takeaways
- तेजस्वी यादव के जंगलराज के सपनों का कोई आधार नहीं है।
- बिहार की जनता भविष्य को लेकर सजग है।
- एनडीए की जीत की संभावना प्रबल है।
- बिहार चुनाव में नए मतदाताओं की भागीदारी महत्वपूर्ण होगी।
- मतदान की प्रक्रिया को सभी को ध्यान से देखना होगा।
रांची, 5 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार चुनाव के पहले चरण की मतदान प्रक्रिया गुरुवार को होगी। मंगलवार शाम से पहले चरण का चुनाव प्रचार थम गया है। इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने बिहार चुनाव में एनडीए की जीत का दावा दोहराते हुए विपक्ष पर हमला बोला।
प्रतुल शाहदेव ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "तेजस्वी यादव के माता-पिता का जंगलराज बिहार की जनता नहीं भूली है। उस समय अपहरण, हत्या और बलात्कार की घटनाएं आम थीं, जिससे एक करोड़ लोग बिहार छोड़कर चले गए थे। तब पूरे राज्य में आतंक का माहौल था। राजद (राष्ट्रीय जनता दल) के गुंडों के चलते लोग शाम को घर से बाहर निकलना बंद कर चुके थे।"
तेजस्वी यादव द्वारा बिहार को 20 वर्षों में बदलने के बयान पर प्रतुल शाहदेव ने चुटकी ली। उन्होंने कहा, "राजद के शासनकाल में लोगों का शाम को बाहर निकलना मुश्किल हो गया था। ऐसे में अगर तेजस्वी चाहते हैं कि बिहार, जो अब विकास की ओर बढ़ रहा है, फिर से 20 महीनों में जंगलराज की ओर लौट जाए, तो ऐसा नहीं होगा। बिहार की महान जनता इसे कभी भी होने नहीं देगी।"
उन्होंने आगे कहा, "तेजस्वी यादव के जंगलराज के सपने कभी पूरे नहीं होंगे। जनता इसे मूर्त रूप नहीं लेने देगी। इस बार एनडीए को पूर्ण बहुमत मिलने की संभावना है।"
ज्ञात हो कि बिहार की सभी 243 सीटों पर दो चरणों में मतदान होगा। पहले चरण में 6 नवंबर को 121 सीटों पर और दूसरे चरण में 11 नवंबर को 122 सीटों पर वोटिंग की प्रक्रिया होगी। सभी सीटों की वोट गिनती 14 नवंबर को होगी। वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है।
चुनाव आयोग के अनुसार, इस बार बिहार चुनाव में 7.42 करोड़ मतदाता भाग लेंगे, जिसमें 14 लाख नए मतदाता शामिल हैं।