क्या पतित पावनी गंगा और पटना में पापों का प्राशमन संभव है?

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क्या पतित पावनी गंगा और पटना में पापों का प्राशमन संभव है?

सारांश

पटना का ऐतिहासिक महत्व गंगा के किनारे बसा है, लेकिन हाल की राजनीतिक बयानबाजी ने इस पवित्रता को चुनौती दी है। क्या बिहार के नेता अपनी भाषा की मर्यादा को समझ पाएंगे?

Key Takeaways

  • पटना का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
  • गंगा नदी की पवित्रता
  • राजनीतिक बयानबाजी का प्रभाव
  • नैतिकता की आवश्यकता
  • बिहार के पूर्व नेताओं की विरासत

पटना, 21 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार की राजधानी पटना एक ऐतिहासिक शहर है। इस शहर के किनारे से पतित पावनी मां गंगा सदियों से बह रही है। गंगा केवल एक नदी नहीं है, बल्कि यह भारतीयों के लिए मोक्षदायिनी है। हर पर्व, विशेषकर छठ महापर्व पर, इस नदी के तट पर बिहार की संस्कृति और मूल्यों की एक अद्भुत झलक मिलती है, जो यह महसूस कराती है कि महान शासक चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा स्थापित 'अखंड भारत' गंगा के किनारे साक्षात उपस्थित है।

पटना के निकट वैशाली है, जिसे दुनिया का पहला गणराज्य माना जाता है। बिहार बौद्ध, जैन और सिख धर्म के लिए भी महत्वपूर्ण स्थान है। आश्चर्य की बात है कि राजनीति के बदलते परिदृश्य ने बिहार की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्ता को कहीं न कहीं दूषित कर दिया है। हाल में विपक्षी दलों द्वारा दिए गए बयानों ने मां गंगा को भी प्रभावित किया होगा।

वास्तव में, बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और विपक्षी दलों की ओर से ऐसे बयानों और नारों की बौछार हुई है, जिसने बिहार को राष्ट्रीय राजनीति का केंद्र बना दिया है। 2014 में जब नरेंद्र मोदी को भाजपा ने प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार घोषित किया, तो उन्होंने काशी को लोकसभा क्षेत्र के रूप में चुना। उस समय उन्होंने कहा था, "न मैं यहां आया हूं और न मुझे किसी ने भेजा है; मुझे तो मां गंगा ने बुलाया है।"

इससे यह स्पष्ट होता है कि 2014 से आज तक गंगा में बहुत पानी बह चुका है। पतित पावनी मां गंगा ने करोड़ों लोगों की आस्था को अपने आंचल में समेटा है, लेकिन राजनीति इतनी निर्दयी है कि उसी व्यक्ति के लिए मर्यादा का उल्लंघन किया गया है, जिनके लिए गंगा मां के समान हैं। यह उल्लेख करना ज़रूरी है कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की ओर से पीएम मोदी के लिए एक अमर्यादित टिप्पणी की गई, जिसमें उनकी दिवंगत मां का भी उल्लेख किया गया।

बिहार के दृष्टिकोण से, ऐसी बयानबाजी किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। बिहार की धरती से कई दिग्गज नेता निकले हैं जिन्हें आज भी सम्मान से याद किया जाता है। कर्पूरी ठाकुर या जयप्रकाश नारायण जैसे नाम आज भी राजनीति में आदर्श बने हुए हैं। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव का जिक्र भी इस संदर्भ में किया जा सकता है।

तेजस्वी यादव के कार्यक्रम में पीएम मोदी के खिलाफ अभद्र टिप्पणी का आरोप एनडीए ने लगाया है। एनडीए का कहना है कि पीएम मोदी और उनकी मां के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियाँ की गई हैं। तेजस्वी यादव जिस राजद के 'कप्तान' हैं, उसके नेता लालू यादव पर भी विवादित बयान देने के आरोप हैं।

लालू यादव ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग किया और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी निशाना बनाया। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजद द्वारा देश और बिहार के सबसे बड़े चेहरे को निशाना बनाने का यह प्रयास उनकी पार्टी की वैचारिक स्थिति को उजागर करता है।

इस सब के बीच, तेज प्रताप यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि अपशब्दों का इस्तेमाल करने वालों को जेल भेजा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस तरह की टिप्पणियों को रोकने के लिए सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

राजद के नेता तेज प्रताप यादव और जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने भी इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। प्रशांत किशोर का कहना है कि यह घटना राजद की कार्यशैली को दर्शाती है और बिहार की जनता ने उनके शासनकाल को करीब से देखा है।

हालांकि, मतदाताओं के सामने एक बड़ा सवाल है कि क्या लालू यादव और उनकी पार्टी राजद इन अपमानजनक टिप्पणियों के बावजूद बिहार की राजनीति में वापसी कर पाएगी? अगर हम नीतीश कुमार की 'विकास पुरुष' की छवि को देखें, तो यह राजद के लिए एक चुनौती है।

अंत में, यह सवाल उठता है कि जिस गंगा नदी के तट पर पटना बसा है, उस शहर के नेताओं की आत्मशुद्धि के लिए हमें और कितना इंतजार करना होगा? दस साल, बीस साल, या शायद कभी नहीं।

Point of View

यह आवश्यक है कि हम राजनीतिक संवाद में शुचिता और मर्यादा बनाए रखें। बिहार की सांस्कृतिक धरोहर को समझते हुए, हमें राजनीति में सुधार की आवश्यकता है।
NationPress
21/09/2025

Frequently Asked Questions

पटना का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
पटना, गंगा के किनारे बसा एक ऐतिहासिक शहर है, जो भारतीय संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है।
गंगा नदी का भारतीय संस्कृति में क्या स्थान है?
गंगा नदी को मोक्षदायिनी के रूप में पूजा जाता है और यह भारतीयों की आस्था का केंद्र है।
बिहार की राजनीति में भाषा की मर्यादा का क्या महत्व है?
राजनीति में भाषा की मर्यादा बनाए रखना आवश्यक है, ताकि सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा हो सके।
क्या बिहार में चुनावी राजनीति में नैतिकता की कमी है?
हां, हाल की घटनाओं से यह स्पष्ट है कि बिहार की राजनीति में नैतिकता की कमी देखने को मिल रही है।
बिहार के पूर्व नेताओं का योगदान क्या रहा है?
बिहार के पूर्व नेता जैसे कर्पूरी ठाकुर और जयप्रकाश नारायण ने राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।