क्या बिहार में अब कानून की जगह 'बुलडोजर' का राज होगा?: दीपांकर भट्टाचार्य
सारांश
Key Takeaways
- बुलडोजर राज का खतरनाक प्रभाव
- नीतीश कुमार की स्थिति पर सवाल
- मतदाता सूची में हेरफेर
- लोकतंत्र और संघीय ढांचे का संकट
- महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन
हाजीपुर, 23 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भाकपा (माले) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने रविवार को कहा कि बिहार में अब कानून का नहीं, बुलडोजर का राज दिखेगा। वर्तमान सरकार पूर्व की सरकार से भिन्न है। नीतीश कुमार केवल मुख्यमंत्री हैं, गृह मंत्री नहीं। गृह मंत्रालय सम्राट चौधरी को सौंप दिया गया है।
उन्होंने कहा, "सभी के सामने उत्तर प्रदेश का बुलडोजर राज का मॉडल उपस्थित है। अब कानून नहीं, बुलडोजर का राज दिखेगा। यूपी में माफिया राज खत्म करने के नाम पर सवर्ण सामंती ताकतों पर कोई कार्रवाई नहीं होती, वे सत्ता संरक्षित हैं, लेकिन दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदायों पर बुलडोजर लगातार चल रहे हैं। बिहार में भी यही होने वाला है।"
भाकपा (माले) के वरिष्ठ नेता और किसान आंदोलन के प्रमुख विशेश्वर प्रसाद यादव की हाजीपुर में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि हम एक खतरनाक दौर में प्रवेश कर रहे हैं। उन्होंने विधानसभा चुनाव के पूर्व एसआईआर का जिक्र करते हुए कहा कि एक झटके में 65 लाख लोगों के नाम मतदाता सूची से काट दिए गए, जिनमें 40 लाख नाम गलत तरीके से हटाए गए। साथ ही 20-25 लाख नए नाम जोड़े गए। इससे हर बूथ का संतुलन बदल गया है।
उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले 30 हजार करोड़ रुपए किसी भी सरकार द्वारा अलग-अलग नाम पर लोगों के बीच बांट दिए जाएं तो इसका क्या परिणाम होगा, यह सबके सामने है। बिहार चुनाव में खुलेआम नियम-कानून की धज्जियां उड़ाई गईं। पूरा चुनावी तंत्र मजाक बनकर रह गया।
उन्होंने आरोप लगाया कि आज देश का संघीय ढांचा और लोकतंत्र खतरे में हैं। मजदूरों-किसानों के अधिकार और महिलाओं की आजादी खतरे में है। हम लोग लड़ते हुए इसका मुकाबला कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि वे वोट चोरी-सीनाजोरी के खिलाफ लड़ेंगे और चुनाव में महिलाओं का गलत इस्तेमाल किया गया। उन्हें झांसा देकर वोट लिया गया। सामाजिक उत्पीड़न फिर से बढ़ रहा है।