क्या भाजपा घुसपैठियों के नाम पर चुनाव जीतने की कोशिश कर रही है?
Key Takeaways
- घुसपैठियों का मुद्दा राजनीतिक विवाद का केंद्र बना हुआ है।
- चंद्रशेखर आजाद ने भाजपा के चुनावी हथकंडों पर सवाल उठाए हैं।
- विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति चल रही है।
- दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा आवश्यक है।
- देश के सामाजिक ताने-बाने को बनाए रखने के लिए सभी वर्गों का सम्मान जरूरी है।
नई दिल्ली, 11 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। संसद के शीतकालीन सत्र में घुसपैठियों के मुद्दे पर राजनीतिक उथल-पुथल चल रही है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विपक्ष पर घुसपैठियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया है। दूसरी ओर, विपक्ष के सांसदों का कहना है कि सरकार दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के वोट अधिकारों को छीनने का प्रयास कर रही है।
आजाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर आजाद ने राष्ट्र प्रेस से चर्चा करते हुए कहा कि सत्ताधारी दल घुसपैठियों के मुद्दे का उपयोग अपने वोटबैंक को मजबूत करने के लिए कर रहा है।
उन्होंने यह भी पूछा, "बिहार में एनडीए को बहुमत मिला, वहां कितने घुसपैठियों को पकड़ा गया है? आप कब तक घुसपैठियों के नाम पर चुनाव जीतना चाहेंगे? आचार संहिता लागू होने के बाद भी बिहार में 10,000 रुपए बांटे गए। क्या यह नहीं कहा जा सकता कि आपने वोट खरीदे हैं?"
चंद्रशेखर आजाद ने आगे कहा, "अगर 12 साल से घुसपैठिए देश की सीमा पर आ रहे हैं तो केंद्र सरकार क्या कर रही है? यदि वे उत्तर प्रदेश में 8 साल से हैं, तो वहां भी भाजपा की सरकार है। जब घुसपैठिए राज्य की सीमा में भी घुस गए हैं, तो मुख्यमंत्री क्यों इस्तीफा नहीं देते हैं?"
उन्होंने दावा किया कि एसआईआर का काम दबाव में किया जा रहा है। चंद्रशेखर आजाद ने कहा, "देश देख रहा है कि दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को छीना जा रहा है।"
कांग्रेस के सांसद उज्जवल रमन ने भी सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि सिर्फ चुनाव के समय भाजपा को घुसपैठिए दिखाई देते हैं। उन्होंने कहा, "क्या हमारी चुनावी व्यवस्था इतनी दूषित हो चुकी है कि घुसपैठियों के सहारे 2014 से 2025 तक चुनाव जीते गए? 12 साल से केंद्र में भाजपा की मजबूत सरकार है, लेकिन कितने बांग्लादेशियों को वापस भेजा गया और कितने रोहिंग्याओं पर कार्रवाई हुई?"
इस मुद्दे पर सीपीएम सांसद राजाराम ने कहा, "बिहार में सत्तापक्ष के लोग एक भी घुसपैठिया नहीं ढूंढ पाए। सत्तापक्ष जानबूझकर यह मुद्दा उठाना चाहता है। इसके जरिए ध्रुवीकरण की कोशिश हो रही है।"
सीपीएम सांसद ने यह भी कहा कि हमें बहुसंख्यक की आजादी के साथ-साथ अल्पसंख्यकों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। हमारा देश विविधताओं से भरा है और इसकी एकता के लिए नागरिकों को उचित सम्मान और स्थान देना आवश्यक है।