क्या चुनाव में धांधली और वोट चोरी के आरोपों को व्यापक दृष्टिकोण से देखना चाहिए?

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क्या चुनाव में धांधली और वोट चोरी के आरोपों को व्यापक दृष्टिकोण से देखना चाहिए?

सारांश

राजद सांसद मनोज झा ने चुनाव में धांधली और वोट चोरी के मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने चुनाव आयोग की भूमिका और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए। क्या ये आरोप सच में गंभीर हैं? आइए जानते हैं।

Key Takeaways

  • चुनाव में धांधली और वोट चोरी के आरोपों की गंभीरता को समझना आवश्यक है।
  • चुनाव आयोग की भुमिका पर सवाल उठाए गए हैं।
  • मनरेगा योजना का नाम बदलने से असली समस्याएं हल नहीं होंगी।
  • राजद सांसद ने सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाए हैं।
  • रविवार को कांग्रेस की रैली इस मुद्दे को और बढ़ाएगी।

नई दिल्ली, 14 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद मनोज झा ने रविवार को कांग्रेस के 'वोट चोरी' और चुनावों में गड़बड़ी के आरोपों का समर्थन करते हुए कहा कि दस्तावेजों से परे, हमने चुनाव आयोग का घमंड और एक खास पार्टी की तरफ उसका स्पष्ट झुकाव देखा है।

दिल्ली में रविवार को 'वोट चोरी' के मुद्दे पर कांग्रेस की एक बड़ी रैली होने जा रही है। इस पर समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए राजद सांसद मनोज झा ने कहा, "चुनाव में धांधली और वोट चोरी के आरोपों को बड़े नजरिए से देखना चाहिए। मैं एक छोटा सा उदाहरण दूंगा। दस्तावेजों से परे, हमने चुनाव आयोग का घमंड और एक खास पार्टी की तरफ उसका स्पष्ट झुकाव देखा है।"

उन्होंने कहा कि सबसे जरूरी बात यह है कि अक्टूबर में मैंने चुनाव आयोग को एक चिट्ठी लिखी थी, जिसका कोई जवाब नहीं मिला। पहले भी निर्वाचन आयोग ने चुनावों के मद्देनजर डायरेक्ट वित्तीय लेनदेन को रोका था, लेकिन हमारी बात को नहीं सुना गया। मनोज झा ने कहा, "सबसे अहम बात यह है कि लेवल प्लेइंग फील्ड खत्म हो गया है। इसलिए, इस पूरे मामले की पूरी तरह से जांच करने की जरूरत है। मेरा मानना ​​है कि आज रामलीला मैदान में रैली के बाद इस मुद्दे को और गंभीरता से उठाया जाएगा।"

इसी बीच, राजद सांसद मनोज झा ने 'मनरेगा' योजना का नाम बदलकर 'पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना' किए जाने पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि मैंने इतनी छोटी सोच और समझ की इतनी कमी कभी नहीं देखी।"

मनोज झा ने कहा, "एक मनरेगा संघर्ष समिति है जिसने बार-बार सवाल उठाए हैं कि काम के दिन और मैन-डे कैसे बढ़ाए जाएं, पूरे भारत में बेहतर मजदूरी कैसे सुनिश्चित की जाए और शहरी सेक्टर में भी ऐसे ही कदम कैसे उठाए जाएं। ये सरकार के सामने चुनौतियां और सवाल थे। इसके बजाय सरकार ने नाम बदला है। उसने महात्मा गांधी का नाम बदलकर दूसरा नाम रख दिया, जिसे पूज्य बापू कहा जा रहा है, जो सही नहीं लगता।"

Point of View

तो यह सभी नागरिकों के लिए चिंताजनक है। चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं और यह लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा है।
NationPress
14/12/2025

Frequently Asked Questions

क्या चुनाव में धांधली का कोई सबूत है?
मनोज झा ने कहा कि चुनाव आयोग का झुकाव एक खास पार्टी की तरफ है, लेकिन ठोस सबूत अभी पेश नहीं किए गए हैं।
मनरेगा का नाम बदलने से क्या फर्क पड़ेगा?
मनोज झा का मानना है कि नाम बदलने से मुद्दों का समाधान नहीं होगा, जबकि असली समस्याएं जस की तस रहेंगी।
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