क्या कांग्रेस भाजपा को रोकने में लगातार विफल हो रही है? : कुणाल घोष
सारांश
Key Takeaways
- कांग्रेस को अपनी हार पर विचार करना चाहिए।
- भाजपा के खिलाफ एकजुटता
- ममता बनर्जी की सफलता महत्वपूर्ण है।
- विपक्ष की रणनीतियों में बदलाव की आवश्यकता है।
- स्थानीय मुद्दों पर ध्यान देना आवश्यक है।
कोलकाता, 15 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार चुनाव में विपक्षी महागठबंधन को बड़ी हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के बीच 'इंडिया' ब्लॉक के नेतृत्व पर सवाल उठने लगे हैं। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता कुणाल घोष ने शनिवार को कहा कि कांग्रेस को अपनी हार पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
टीएमसी नेता कुणाल घोष ने राष्ट्र प्रेस से बात करते हुए कहा, "बिहार चुनाव के नतीजे के बाद कांग्रेस को अपने आप पर गंभीरता से विचार करना चाहिए, क्योंकि यह पार्टी लगातार विफल साबित हो रही है। महाराष्ट्र, दिल्ली और हरियाणा के बाद अब बिहार में उनकी हार हुई है। जहाँ कांग्रेस पर भाजपा को रोकने की जिम्मेदारी है, वहाँ पर पार्टी असफल हो रही है।"
उन्होंने कांग्रेस के पिछले प्रदर्शनों की तारीफ करते हुए कहा, "अगर किसी पार्टी को लगातार सफलता मिल रही है, तो वह बंगाल में ममता बनर्जी हैं। 2021 में विधानसभा चुनाव, 2023 में पंचायत चुनाव और 2024 में लोकसभा चुनाव में बंगाल में भाजपा सांसदों की संख्या कम हो गई, जबकि तृणमूल कांग्रेस के सांसदों की संख्या बढ़ गई।"
घोष ने कहा, "जो नेता देश में सबसे लोकप्रिय है। 7 बार सांसद, 4 बार केंद्रीय मंत्री, दो बार रेलवे मंत्री, तीन बार मुख्यमंत्री रही। इस पर कांग्रेस को सोचना चाहिए कि उनका नेतृत्व लगातार विफल साबित हो रहा है। कांग्रेस खुद तो जीत दर्ज नहीं कर पा रही है, बल्कि वह जिन राज्यों में, जिस पार्टी के साथ गठबंधन कर रही है, उसे भी डूबो
टीएमसी नेता ने कहा, "कांग्रेस को खुद इस पर विचार करना चाहिए कि 'इंडिया' ब्लॉक के नेतृत्व की जिम्मेदारी किसके हाथ में होनी चाहिए। यह सच अब सभी के सामने आ गया है कि भाजपा को कौन हरा सकता है, वह ममता बनर्जी हैं।"
बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे शुक्रवार को सामने आए। 243 विधानसभा सीटों वाले राज्य में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। भाजपा को राज्य में 89 सीटों पर जीत मिली। दूसरे नंबर पर नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) 85 सीटों के साथ रही। वहीं प्रदेश की मुख्य विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को 25 सीटें मिलीं, जबकि 'इंडिया' ब्लॉक के प्रमुख सदस्य कांग्रेस के खाते में मात्र छह सीटें गईं।