क्या कांग्रेस को परिणाम भुगतने होंगे? पीएम मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक नारों पर बोले भाजपा सांसद
सारांश
Key Takeaways
- कांग्रेस की रैली में आपत्तिजनक नारे लगे।
- भाजपा के सांसदों ने इसकी निंदा की।
- मुख्य मंत्री गिरिराज सिंह ने कांग्रेस की हताशा को उजागर किया।
- भाजपा सांसदों ने कहा कि कांग्रेस को परिणाम भुगतने होंगे।
- यह स्थिति भारतीय राजनीति में चिंताजनक है।
नई दिल्ली, 15 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस पार्टी की रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक नारों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसदों ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को आने वाले समय में परिणाम भुगतने होंगे। देश की जनता उन्हें फिर से सबक सिखाएगी।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि हताशा में कांग्रेस भद्दी गालियां देने पर उतर आई है। देश की जनता इसे कभी बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने कहा, "अगर कांग्रेस गालियां देती है, तो मुझे कहना होगा कि लोगों ने पहले ही कांग्रेस पार्टी की राजनीतिक कब्र खोद दी है। पूरी कांग्रेस पार्टी कब्र में जाने वाली है।"
भाजपा के सांसद अरुण गोविल ने भी पीएम मोदी के खिलाफ कांग्रेस समर्थकों के आपत्तिजनक नारों की निंदा की। उन्होंने कहा, "कांग्रेस पार्टी किसी चीज को फेस नहीं करना चाहती है। जैसे कोई भागते-भागते गाली देते हुए जाता है, आज कांग्रेस की वही स्थिति है। लेकिन यह अच्छा नहीं है। जिस तरह के नारे लगाए, उनकी निंदा की जानी चाहिए।"
सांसद शशांक मणि त्रिपाठी ने कहा कि जब कोई हताश होता है तो इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल करता है। पिछले दिनों संसद में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के वक्तव्य के बाद पूरा विपक्ष वॉकआउट कर चुका था। इसके बाद आपत्तिजनक नारों का इस्तेमाल किया गया।
उन्होंने कहा कि आज के समय प्रधानमंत्री मोदी के जैसी साख पूरी दुनिया में किसी की नहीं है। उनके खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल करना बिल्कुल गलत है और मैं इसकी निंदा करता हूं। अगर वे ऐसी भाषा का इस्तेमाल करते रहे, तो जनता उन्हें एक बार फिर सबक सिखाएगी।
सांसद दामोदर अग्रवाल ने कहा कि यह विपक्षी पार्टी की हताशा का परिचायक है। लोकतंत्र में इस तरह की बातें किसी को शोभा नहीं देती हैं। पूरी रैली में 'वोट चोरी' के नारे लगाए गए। देश की जनता देख रही है कि कैसे विपक्षी दल अपनी कमजोरियों को छिपाने के लिए संवैधानिक संस्थाओं को बदनाम कर रहे हैं। आने वाले समय में विपक्षी दलों को इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा।