क्या देश में रहना है तो 'वंदे मातरम' गाना होगा?

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क्या देश में रहना है तो 'वंदे मातरम' गाना होगा?

सारांश

महाराष्ट्र सरकार ने सभी स्कूलों में 'वंदे मातरम' गाने का आदेश दिया है। इस निर्णय का विरोध करते हुए सपा विधायक रईस शेख ने इसे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया है। आचार्य तुषार भोसले ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। क्या यह निर्णय सही है? जानें इस विवाद के पीछे की कहानी।

Key Takeaways

  • सरकारी आदेश सभी स्कूलों में 'वंदे मातरम' गाने का है।
  • रईस शेख ने इसे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया है।
  • आचार्य तुषार भोसले ने इस पर प्रतिक्रिया दी है।
  • 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में यह पहल की गई है।
  • शिक्षा में राष्ट्रभक्ति और सांस्कृतिक गौरव को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है।

मुंबई, 3 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने 31 अक्टूबर से 7 नवंबर तक सभी स्कूलों में 'वंदे मातरम' का पूरा संस्करण गाने का आदेश दिया है। इस निर्णय का सपा विधायक रईस शेख ने विरोध किया और इसे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया। उनके बयान पर आध्यात्मिक आघाडी के प्रमुख आचार्य तुषार भोसले ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

भोसले ने कहा कि राज्य के सभी मदरसों में 'वंदे मातरम' गाना अनिवार्य होना चाहिए और जो इसका पालन नहीं करेंगे, उनकी सरकारी फंडिंग रोक दी जाए। उन्होंने रईस शेख पर निशाना साधते हुए कहा कि इस देश में रहना है तो 'वंदे मातरम' गाना होगा।

समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक रईस शेख ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भुसे और शिक्षा राज्य मंत्री पंकजा भोयर को पत्र लिखकर शिक्षा विभाग के स्कूलों में 'वंदे मातरम' गाने के आदेश का विरोध किया था।

शेख का कहना है कि शिक्षा विभाग का यह निर्णय विद्यार्थियों पर धार्मिक विचार थोपने जैसा है और इससे शिक्षा के माहौल में अनावश्यक तनाव पैदा होगा।

रईस शेख ने कहा कि बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित 'वंदे मातरम' का ऐतिहासिक और साहित्यिक महत्व है, किंतु इसे गाने के लिए बाध्य करना नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा रचित 'जन गण मन' भारत का आधिकारिक राष्ट्रगान है।

गौरतलब है कि स्कूल शिक्षा विभाग ने 27 अक्टूबर को एक परिपत्र जारी किया, जिसके तहत निर्देश दिया गया कि 31 अक्टूबर से 7 नवंबर तक सभी स्कूलों में राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' का पूरा संस्करण गाया जाएगा।

यह पहल बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित इस गीत के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में की जा रही है। विभाग ने स्कूलों को निर्देश दिया कि इस अवधि में 'वंदे मातरम' के इतिहास और महत्व को दर्शाने वाली प्रदर्शनी भी आयोजित की जाए, ताकि छात्रों में राष्ट्रभक्ति और सांस्कृतिक गौरव की भावना विकसित हो सके।

Point of View

यह स्पष्ट है कि किसी भी राष्ट्र की पहचान और उसकी सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा आवश्यक है। 'वंदे मातरम' जैसे गीतों का महत्व है, लेकिन जब इसे अनिवार्य किया जाता है, तो यह नागरिकों के अधिकारों का भी ध्यान रखना होगा। शिक्षा का माहौल सभी के लिए सुरक्षित और सकारात्मक होना चाहिए।
NationPress
03/11/2025

Frequently Asked Questions

क्या 'वंदे मातरम' गाना अनिवार्य किया जा सकता है?
जी हां, सरकार ऐसे निर्णय ले सकती है, लेकिन यह संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन भी हो सकता है।
इस निर्णय का विरोध क्यों हो रहा है?
'वंदे मातरम' गाने का आदेश देने को कुछ लोग धार्मिक विचार थोपने के रूप में देख रहे हैं।
'वंदे मातरम' का महत्व क्या है?
'वंदे मातरम' एक ऐतिहासिक और साहित्यिक गीत है, जिसका गहरा सांस्कृतिक महत्व है।