क्या फर्जी वोटर्स को हटाना गलत है? भाजपा सांसद भीम सिंह का विपक्ष से सवाल

सारांश
Key Takeaways
- मतदाता पुनरीक्षण प्रक्रिया लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है।
- फर्जी मतदाताओं को हटाना आवश्यक है।
- भाजपा का इसमें कोई हस्तक्षेप नहीं है।
- निर्वाचन आयोग की प्रक्रिया पारदर्शिता को बढ़ावा देती है।
- विपक्षी दलों का विरोध समझ से परे है।
नई दिल्ली, 22 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा के राज्यसभा सांसद भीम सिंह ने मंगलवार को मतदाता पुनरीक्षण का विरोध कर रहे विपक्षी दलों पर तीखा प्रहार किया। उनके अनुसार फर्जी मतदाताओं को हटाने पर उठ रहा हंगामा समझ से परे है।
उन्होंने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि विपक्ष को आखिर इतना विरोध क्यों करना है? इसमें कुछ भी विवादास्पद नहीं है। यदि इस प्रक्रिया के तहत बांग्लादेश या नेपाल के मतदाताओं को हटाया जा रहा है, तो इसमें किसी को क्या परेशानी होनी चाहिए?
भीम सिंह ने आगे कहा, "अब तक 22 बार देशभर में मतदाता पुनरीक्षण किया गया है। 23वीं बार यह प्रक्रिया शुरू होने वाली है, जिसमें फर्जी वोटर्स की पहचान की जाएगी। लेकिन, इस बार कुछ व्यक्तियों को यह क्यों बुरा लग रहा है? राष्ट्रीय जनता दल के शासनकाल में भी मतदाता पुनरीक्षण हुआ था, लेकिन तब कोई हंगामा नहीं हुआ।"
भाजपा नेता ने इस मामले में भाजपा को घसीटे जाने पर आपत्ति जताते हुए कहा, "मतदाता पुनरीक्षण निर्वाचन आयोग के आदेश पर हो रहा है। इसमें भाजपा की कोई भूमिका नहीं है। समझ से परे है कि भाजपा से क्यों सवाल उठाए जा रहे हैं? सवाल तो निर्वाचन आयोग से पूछा जाना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो चुकी है या किसी का फर्जी मतदाता पहचान पत्र बना हुआ है, तो उनका नाम क्यों नहीं हटाया जाना चाहिए? विपक्षी दल ऐसा नहीं करने दे रहे हैं।"
जानकारी के लिए बता दें कि मतदाता पुनरीक्षण भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची को अपडेट करने की प्रक्रिया है। इसका उद्देश्य पात्र मतदाताओं का पंजीकरण, गलत या अपात्र प्रविष्टियों को हटाना, डुप्लिकेट नामों को हटाना और मतदाताओं की जानकारी में सुधार करना है। यह प्रक्रिया वार्षिक या विशेष रूप से चुनाव से पहले आयोजित की जाती है। नागरिक फॉर्म 6, 7, 8, या 8ए के माध्यम से पंजीकरण, सुधार या स्थानांतरण कर सकते हैं। बूथ लेवल ऑफिसर दस्तावेजों की जांच करते हैं और मसौदा सूची प्रकाशित होने के बाद अंतिम सूची जारी की जाती है।