क्या 'गीतांजलि आईआईएससी' ने सांस्कृतिक केंद्र के रूप में पहचान बनाई है?

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क्या 'गीतांजलि आईआईएससी' ने सांस्कृतिक केंद्र के रूप में पहचान बनाई है?

सारांश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'गीतांजलि आईआईएससी' की सराहना की है, जिसने सांस्कृतिक केंद्र का रूप धारण किया है। यहाँ संगीत और कला के प्रति छात्रों की रुचि को बढ़ावा दिया जा रहा है। जानें, इस पहल के पीछे की सोच और इसके महत्व के बारे में।

Key Takeaways

  • गीतांजलि आईआईएससी ने सांस्कृतिक केंद्र की भूमिका निभाई है।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी सराहना की है।
  • इसमें हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत शामिल है।
  • द्वि-शताब्दी से अधिक सदस्य जुड़े हुए हैं।
  • युवाओं को हैकेथन्स में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।

नई दिल्ली, 28 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'गीतांजलि आईआईएससी' समूह की सराहना की है। उनका कहना है कि 'गीतांजलि आईआईएससी' अब केवल एक कक्षा नहीं, बल्कि परिसर का सांस्कृतिक केंद्र बन चुका है। यहां हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, लोक परंपराएं और शास्त्रीय विधाएं मौजूद हैं, जहां छात्र एक साथ बैठकर रियाज करते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम में कहा, "आज का जीवन तकनीक से संचालित है। जो परिवर्तन सदियों में आते थे, वो अब कुछ वर्षों में हो रहे हैं। कई लोग चिंता व्यक्त करते हैं कि रोबोट्स कहीं मनुष्यों को प्रतिस्थापित न कर दें। इस बदलते समय में मानव विकास के लिए अपनी जड़ों से जुड़े रहना अत्यंत आवश्यक है।"

उन्होंने आगे कहा, "मुझे यह देखकर बहुत खुशी होती है कि नई सोच और नए तरीकों के साथ हमारी अगली पीढ़ी अपनी संस्कृति की जड़ों को मजबूती से थाम रही है। भारतीय विज्ञान संस्थान की पहचान अनुसंधान और नवाचार है। कुछ साल पहले वहां के छात्रों ने महसूस किया कि पढ़ाई और अनुसंधान के बीच संगीत के लिए भी स्थान होना चाहिए। इसी से एक छोटी-सी म्यूजिक क्लास शुरू हुई।"

पीएम मोदी ने कहा कि न तो कोई बड़ा मंच था और न ही कोई बड़ा बजट, बस यह पहल धीरे-धीरे बढ़ती गई और आज इसे 'गीतांजलि आईआईएससी' के नाम से जाना जाता है। छात्रों ने यहां एक साथ बैठकर रियाज किया है। प्रोफेसर और उनके परिवार भी इसमें शामिल होते हैं। पीएम मोदी ने बताया कि अब इस समूह से दो सौ से अधिक लोग जुड़े हैं, और जो विदेश में हैं, वो भी ऑनलाइन जुड़कर इस समूह का हिस्सा बने हुए हैं।

इस बीच, प्रधानमंत्री मोदी ने देश के युवाओं से 'हैकेथन्स' में भाग लेने की अपील की। उन्होंने कहा कि पिछले 7-8 वर्षों में 'स्मार्ट इंडिया हैकथॉन' में 13 लाख से ज्यादा छात्र और 6,000 से अधिक संस्थान भाग ले चुके हैं। युवाओं ने सैकड़ों समस्याओं के ठोस समाधान भी प्रदान किए हैं। ऐसे हैकेथन्स का आयोजन समय-समय पर होता रहता है।

Point of View

यह कहना उचित होगा कि 'गीतांजलि आईआईएससी' की पहल भारत की सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। यह छात्रों को न केवल शैक्षणिक क्षेत्र में बल्कि सांस्कृतिक क्षेत्र में भी आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता है।
NationPress
28/12/2025

Frequently Asked Questions

गीतांजलि आईआईएससी क्या है?
गीतांजलि आईआईएससी भारतीय विज्ञान संस्थान का एक संगीत समूह है, जो सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस समूह की सराहना क्यों की?
प्रधानमंत्री मोदी ने इसे सांस्कृतिक केंद्र के रूप में मान्यता दी है, जहां छात्र एक साथ संगीत का अभ्यास करते हैं।
कितने लोग इस समूह से जुड़े हैं?
इस समूह से दो सौ से अधिक लोग जुड़े हैं, जिनमें कई विदेश में भी हैं।
हैकेथन्स में भाग लेने का महत्व क्या है?
हैकेथन्स युवाओं को समस्या समाधान के लिए प्रोत्साहित करते हैं और नवाचार को बढ़ावा देते हैं।
गीतांजलि आईआईएससी का संगीत समूह कब शुरू हुआ?
यह समूह कुछ साल पहले छात्रों द्वारा शुरू किया गया था।
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