क्या हिंदी पर विवाद होना दुर्भाग्यपूर्ण है, जबकि अंग्रेजी पर नहीं? : भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार

सारांश
Key Takeaways
- हिंदी को संचार का महत्वपूर्ण माध्यम माना गया।
- महात्मा गांधी का हिंदी को राष्ट्रभाषा मानने का तर्क।
- बीएमसी चुनाव में हिंदी विवाद का कोई प्रभाव नहीं होगा।
- आवश्यकता है मराठी में विज्ञान के शब्दों का विकास करने की।
- जनता की भावना के खिलाफ जाने से कुछ लोग नुकसान उठाएंगे।
मुंबई, 30 जून (राष्ट्र प्रेस)। महाराष्ट्र में हिंदी भाषा विवाद पर भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने सोमवार को कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अंग्रेजी भाषा पर कोई विवाद नहीं है, लेकिन हिंदी पर है।
सुधीर मुनगंटीवार ने कहा, "हम हिंदी को देश में और राज्यों के बीच संचार का माध्यम मानते हैं। महात्मा गांधी ने कई बार कहा था कि हिंदी को राष्ट्रभाषा माना जाना चाहिए। तो फिर हमें इसके खिलाफ क्यों होना चाहिए? मराठी भाषा को दबाया नहीं जा रहा है। अगर किसी भाषा को बंद करना है तो हमें अंग्रेजी को ही बंद करना चाहिए।" उन्होंने विज्ञान के शब्दों को मराठी में विकसित करने के लिए एक विभाग बनाने की आवश्यकता व्यक्त की।
उन्होंने यह भी कहा कि पंचवीं कक्षा के बाद हिंदी अनिवार्य है। प्राथमिक शिक्षा के स्तर पर हिंदी को लेकर कोई समस्या क्यों है, यह समझ से परे है।
जब उनसे पूछा गया कि क्या राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे की ओर से हिंदी विवाद को बीएमसी चुनाव के मद्देनजर बढ़ावा दिया जा रहा है, तो भाजपा नेता ने कहा कि इससे चुनाव पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्हें लगता है कि इससे उन्हें ज्यादा नुकसान होगा।
अभिनेता नसीरुद्दीन शाह के दिलजीत दोसांझ का समर्थन करने पर सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि यह बयान जनता की भावनाओं के खिलाफ है। उन्होंने कहा, "कुछ लोग जनता के खिलाफ जाकर प्रसिद्धि पाना चाहते हैं। लेकिन, जनता ऐसे लोगों को सबक सिखाएगी।"
नसीरुद्दीन शाह ने फेसबुक पर दिलजीत का समर्थन करते हुए लिखा, "मैं दिलजीत के साथ मजबूती से खड़ा हूं।"