क्या कांग्रेस सांसद इमरान मसूद का तंज 'संचार साथी' ऐप पर सही है, क्या सरकार भारत को नॉर्थ कोरिया बनाना चाहती है?
सारांश
Key Takeaways
- संचार साथी ऐप का विवाद बढ़ता जा रहा है।
- कांग्रेस ने इसे निजता का उल्लंघन बताया।
- इमरान मसूद ने सरकार पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
नई दिल्ली, २ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। दूरसंचार विभाग द्वारा सभी नए मोबाइल फोन में 'संचार साथी' ऐप को अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल करने को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। कांग्रेस इसे निजता के उल्लंघन से जोड़ रही है। मंगलवार को, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने तंज कसते हुए पूछा कि क्या सरकार भारत को नॉर्थ कोरिया में बदलने की योजना बना रही है।
इमरान मसूद ने नए मोबाइल फोन में संचार साथी ऐप को अनिवार्य करने को देश की सुरक्षा से जोड़ा। उन्होंने कहा, "देश को हम कहां लेकर जा रहे हैं? सुरक्षा के नाम पर आप सिंगापुर की तरह क्यों नहीं करते? सिंगापुर में पता रहता है कि एक व्यक्ति कहां मूवमेंट कर रहा है, लेकिन यहां सरकार उनकी मोबाइल फोन में घुसकर लोगों की निजता का उल्लंघन करेगी, तो ऐसे में देश को कहां लेकर जाना चाहती है?"
उन्होंने आगे कहा, "क्या सरकार देश को नॉर्थ कोरिया बनाना चाहती है? क्या बाल भी उनकी तरह कटवाएंगे, कपड़े भी उनकी तरह पहनेगे, क्या खाएं-पीएं, किस तरह सोएं, किस तरह हंसे, कैसे बैठें, क्या यह सब कुछ सरकार तय करेगी?"
जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद मोहम्मद रमजान के हालिया बयान पर इमरान मसूद ने कहा, "मुझे नहीं पता कि रमजान साहब के पास कितनी राजनीतिक समझ है। उनकी पार्टी कश्मीर में जीतती है, लेकिन जम्मू में उनका क्या हाल हुआ? कश्मीर में भाजपा के जीतने पर हर कोई सवाल खड़े कर देता।"
संसद सत्र से पहले कांग्रेस की मीटिंग में शशि थरूर के नहीं पहुंचने पर उन्होंने कहा, "शशि थरूर कोई मुद्दा ही नहीं है। उनकी मर्जी है कि वे आएं या न आएं।"
शीतकालीन सत्र में वंदे मातरम् पर होने वाली चर्चा को लेकर इमरान मसूद ने तंज कसते हुए कहा, "१९२५ से लेकर १९४७ के बीच में जब आजादी के मतवाले 'वंदे मातरम्' गाते थे, तब अंग्रेज उन पर लाठियां चलाते थे, लेकिन उस समय आरएसएस के लोग एक लाठी खाए हों, तो बता दें।"
उन्होंने पश्चिम बंगाल में बाबरी मस्जिद को लेकर हो रहे बवाल पर कहा, "ऐसे लोग मानसिक रूप से विकृत होते हैं। वे मस्जिद बनाएं, न कि मस्जिद को सियासत का अड्डा। मस्जिद इबादत के लिए है, न कि सियासत के लिए।"