क्या जबरन धर्मांतरण गलत है? वीर बाल दिवस साहस और नैतिकता का प्रेरणा स्रोत: माणिक साहा
सारांश
Key Takeaways
- धर्मांतरण का कोई भी प्रकार जो प्रलोभन या बलात्कारी तरीके से किया जाता है, गलत है।
- वीर बाल दिवस साहस और नैतिकता का प्रतीक है।
- युवाओं को त्याग और धर्म के प्रति आस्था का मूल्य समझने की आवश्यकता है।
- सही शिक्षा से बच्चों में गुण विकसित किए जा सकते हैं।
- समाज को ऐसे कृत्यों के खिलाफ खड़ा होना चाहिए।
अगरतला, २६ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने शुक्रवार को कहा कि जबरन या किसी प्रकार के प्रलोभन से किया गया धर्मांतरण गलत है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आस्था और आत्म-बलिदान की भावना केवल विश्वास से आती है, न कि दबाव या लालच से।
एक गुरुद्वारे में आयोजित वीर बाल दिवस के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस दिन का उद्देश्य युवा पीढ़ी में साहस, त्याग और नैतिक मूल्यों का संचार करना है।
उन्होंने कहा, “वीर बाल दिवस का मुख्य उद्देश्य यह संदेश देना है कि धर्म सभी के लिए है। किसी को बलात्कारी तरीके से या विभिन्न प्रलोभनों के तहत दूसरे धर्म में परिवर्तित करना गलत है। दुर्भाग्यवश, ऐसे मामले आज भी कई स्थानों पर देखने को मिलते हैं।”
ऐतिहासिक और समकालीन उदाहरणों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर हिंदुओं और सिखों को कई क्षेत्रों में उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है।
उन्होंने कहा, “कश्मीरी पंडितों पर अमानवीय अत्याचार किए गए। विभाजन से पहले भी स्थिति कुछ ऐसी ही थी। विभाजन के बाद पश्चिमी पाकिस्तान और फिर बांग्लादेश का गठन हुआ, जहां हिंदुओं, सिखों और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की जनसंख्या में भारी गिरावट आई।”
मुख्यमंत्री साहा ने कहा कि यह मुद्दा लेखों और रिपोर्टों के माध्यम से बड़े पैमाने पर चर्चा में है और समाज को ऐसे कृत्यों के खिलाफ मजबूती से खड़ा होने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, “वीर बाल दिवस के अवसर पर हमें यह सोचना चाहिए कि जबरन धर्मांतरण के खिलाफ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी आवाज कैसे उठाई जाए।”
मुख्यमंत्री ने याद दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी २०२२ में पहली बार वीर बाल दिवस मनाने की घोषणा की थी। तब से हर वर्ष २६ दिसंबर को पूरे देश में यह दिवस श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस दिवस का केंद्रीय उद्देश्य आने वाली पीढ़ी को वीरता, त्याग और नैतिक शक्ति के आदर्शों से प्रेरित करना है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “वीर बाल दिवस केवल इतिहास को याद करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह त्याग, धर्म और राष्ट्र के प्रति आस्था को जागृत करता है। यह युवाओं को आत्मविश्वास विकसित करने और बलिदान के मूल्य को समझने की शिक्षा देता है।”
उन्होंने बच्चों की उचित शिक्षा के महत्व पर भी जोर देते हुए कहा कि सही मार्गदर्शन से बच्चों में ऐसे गुण विकसित हो सकते हैं, जो कई बार वयस्कों में भी देखने को नहीं मिलते।
इस कार्यक्रम में अगरतला नगर निगम के मेयर एवं विधायक दीपक मजूमदार सहित सिख समुदाय के कई प्रमुख सदस्य उपस्थित थे।