क्या जमुई विधानसभा सीट पर फिर कमल खिला पाएगी भाजपा की श्रेयसी सिंह?

Click to start listening
क्या जमुई विधानसभा सीट पर फिर कमल खिला पाएगी भाजपा की श्रेयसी सिंह?

सारांश

जमुई विधानसभा सीट, बिहार की एक महत्वपूर्ण राजनीतिक क्षेत्र है। 2020 में भाजपा के लिए यह सीट एक बड़ी जीत थी। क्या श्रेयसी सिंह फिर से इस सीट पर कमल खिला पाएंगी? जानिए इस बार के चुनावी माहौल के बारे में।

Key Takeaways

  • जमुई विधानसभा सीट बिहार की महत्वपूर्ण सीट है।
  • यहाँ के चुनाव में यादव, राजपूत और मुस्लिम समुदाय के वोट निर्णायक होते हैं।
  • भाजपा ने २०२० में पहली बार यहाँ जीत हासिल की थी।
  • जमुई का इतिहास और सांस्कृतिक महत्व अद्वितीय है।
  • इस बार कुल १२ उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं।

पटना, 25 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। जमुई जिले की जमुई विधानसभा सीट बिहार की प्रमुख और रणनीतिक सीटों में से एक मानी जाती है। यह क्षेत्र बिहार-झारखंड सीमा पर स्थित है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक महत्व और भूगर्भीय संपदा के लिए प्रसिद्ध है। उत्तर में गंगा का उपजाऊ मैदान है, जबकि दक्षिण में छोटा नागपुर का पठारी क्षेत्र फैला हुआ है।

इस इलाके में दो राज्यों की भौगोलिक और सांस्कृतिक विशेषताओं का अनोखा संगम देखने को मिलता है। इसके साथ ही, यह क्षेत्र मिका, कोयला, सोना और लोहा जैसी बहुमूल्य खनिज संपदा के लिए भी जाना जाता है।

जमुई का इतिहास और सांस्कृतिक महत्व भी अद्वितीय है। ऐतिहासिक ग्रंथों और साहित्य में इसे जांभ्ययाग्राम के नाम से जाना जाता था। जैन धर्म के अनुसार, २४वें तीर्थंकर भगवान महावीर ने ऋजुपालिका नदी के किनारे स्थित जांभ्ययाग्राम में दिव्य ज्ञान प्राप्त किया था।

जिले में कई प्राचीन मंदिर हैं, जिनमें गिद्धेश्वर मंदिर और पत्नेश्वर मंदिर प्रमुख हैं। गिद्धेश्वर मंदिर जिला मुख्यालय से लगभग १५ किमी दक्षिण में स्थित है और पत्थरों के ऊपर बना यह प्राचीन शिव मंदिर अपनी ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। वहीं, पत्नेश्वर मंदिर जमुई शहर से लगभग ५ किमी उत्तर में स्थित है और इसकी उम्र लगभग ८०० साल बताई जाती है।

राजनीतिक दृष्टि से जमुई सीट की भूमिका हमेशा से महत्वपूर्ण रही है। १९५७ में यह स्वतंत्र विधानसभा सीट बनी थी, और तब से अब तक कुल १७ चुनाव हुए हैं, जिसमें एक उपचुनाव भी शामिल है। शुरुआती वर्षों में कांग्रेस पार्टी ने पाँच बार जीत हासिल की, जबकि १९५७ में सीपीआई ने वामपंथ की यहाँ अपनी एकमात्र जीत दर्ज की। इसके बाद समाजवादी पार्टी, जनता पार्टी, जनता दल, जदयू और राजद ने बारी-बारी से इस सीट पर कब्जा जमाया।

२०२० में पहली बार भाजपा ने यहाँ जीत दर्ज की, जब श्रेयसी सिंह ने राजद के विजय प्रकाश यादव को हराया।

इस बार जमुई विधानसभा चुनाव में कुल १२ उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। मुख्य मुकाबला भाजपा और राजद के बीच माना जा रहा है। भाजपा ने यहाँ से श्रेयसी सिंह को उम्मीदवार बनाया है, जबकि राजद ने मोहम्मद शमसाद आलम को मैदान में उतारा है। इसके अलावा, जन स्वराज पार्टी के टिकट पर अनिल प्रसाद साह भी चुनावी संघर्ष में शामिल हैं।

इस सीट पर यादव, राजपूत और मुस्लिम समुदाय के वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इनके मतों की दिशा चुनाव के परिणाम को प्रभावित कर सकती है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि यह सीट बिहार की राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। सामुदायिक समीकरण और स्थानीय मुद्दे चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे में सभी दलों को चुनावी रणनीति में सावधानी बरतनी होगी।
NationPress
25/10/2025

Frequently Asked Questions

जमुई विधानसभा सीट का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
जमुई का इतिहास जांभ्ययाग्राम के नाम से जुड़ा हुआ है, जहाँ भगवान महावीर ने ज्ञान प्राप्त किया था।
इस बार के चुनाव में कौन-कौन उम्मीदवार हैं?
इस बार कुल १२ उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं, जिनमें मुख्य मुकाबला भाजपा की श्रेयसी सिंह और राजद के मोहम्मद शमसाद आलम के बीच है।