क्या जनगणना देश की आवश्यकता है? बिहार इस मामले में रोल मॉडल है: जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार
सारांश
Key Takeaways
- जनगणना एक आवश्यक प्रक्रिया है जो सामाजिक न्याय की दिशा में कदम बढ़ाने में मदद करती है।
- बिहार ने जातिगत जनगणना के माध्यम से एक नई मिसाल पेश की है।
- डिजिटल जनगणना से डेटा संग्रहण की प्रक्रिया में सुधार होगा।
नई दिल्ली, 13 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय कैबिनेट ने देश में जनगणना कराने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस बार जनगणना पूरी तरह से डिजिटल तरीके से होगी। जनता दल (यूनाइटेड) के प्रवक्ता नीरज कुमार ने शनिवार को जनगणना को देश की जरूरत बताया।
जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा, "नए युग में जब नई संचार विधियां हैं, तो उनका उपयोग किया जाएगा। जनगणना इस देश की आवश्यकता है। विभिन्न सामाजिक समूहों की कितनी आबादी है? अगर इसकी गणना नहीं होगी, तो कल्याणकारी कार्यक्रमों का क्या औचित्य है? आरक्षण की व्यवस्था समाज के सभी तबकों के लिए है, लेकिन अगर उनकी संख्या ही नहीं पता हो, तो इसका क्या अर्थ है?"
उन्होंने कहा, "जनगणना के मामले में बिहार ने एक रोल मॉडल की भूमिका निभाई है। बिहार ने समय सीमा के भीतर जातिगत जनगणना और सर्वेक्षण कराकर कल्याणकारी कार्यक्रम भी घोषित कर दिए। जिन लोगों ने जनगणना पर आंसू बहाए हैं, उनसे पूछना चाहिए कि तेलंगाना की रिपोर्ट कहां है? कांग्रेस पार्टी को इसे स्पष्ट करना चाहिए।"
नीरज कुमार ने विपक्ष द्वारा मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ रैली निकालने को लेकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "यह चुनाव आयोग के खिलाफ नहीं, बल्कि संवैधानिक संस्था के खिलाफ रैली है। यह संवैधानिक संस्थाओं पर हमला है, जो अत्यंत दुखद है। विपक्ष राजनीति करता रहा, लेकिन बिहार की जनता ने इस मुद्दे पर प्रचंड जनादेश दिया। जनता ने तय कर लिया है कि एसआईआर होना चाहिए।"
जदयू प्रवक्ता ने गृहमंत्री सम्राट चौधरी के राजद प्रमुख लालू यादव पर हाल ही में दिए बयान का समर्थन किया। उन्होंने कहा, "सम्राट चौधरी ने आज की राजनीतिक आवश्यकता के अनुसार अपने विचार प्रस्तुत किए हैं। ऐसे लोग जिन्होंने संपत्ति को गलत तरीके से अर्जित किया है, खासकर लालू यादव, जिन्हें सम्राट चौधरी पंजीकृत अपराधी कहते हैं, उनकी संपत्ति को समय सीमा के तहत जब्त करके विद्यालय और अनाथालय बनाना चाहिए।"