क्या जीतन राम मांझी को केंद्र में रहकर कुछ मिलने वाला नहीं?
सारांश
Key Takeaways
- जी राम जी विधेयक मजदूरों के लिए अनुकूल नहीं है।
- उत्तराखंड में गीता पाठ का विषय राजनीतिक है।
- मांझी को संघर्ष की आवश्यकता है।
पटना, 22 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत, 'जी राम जी' विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी, उत्तराखंड के स्कूलों में गीता पाठ, महाराष्ट्र निकाय चुनाव और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के बयानों पर अपनी प्रतिक्रिया दी।
राजद प्रवक्ता ने 'जी राम जी' बिल को संख्या बल के सहारे पास कराने का आरोप लगाया है और कहा कि राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई है। सरकार ने गांधी के नाम को हटा कर 'हे राम' की जगह 'जी राम जी' पेश किया है। यह मजदूरों के साथ अन्याय है। पहले 90 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार देती थी, अब राज्य सरकार को भी अपना हिस्सा देना होगा। 125 दिनों के काम की बात हो रही है, जबकि 150 दिनों का काम मिलना चाहिए।
तिवारी ने कहा कि मोहन भागवत के ज्ञान की अब कोई आवश्यकता नहीं है। देशवासियों को देशभक्ति का सही अर्थ पता है और इस देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले कई योद्धा हैं। संघ केवल नफरत फैलाने का काम करती है, यह सभी को ज्ञात है। उत्तराखंड में गीता पाठ के विषय में उन्होंने कहा कि क्या भगवद गीता के श्लोक भाजपा द्वारा लिखे गए हैं? सभी लोग गीता के श्लोक पढ़ते हैं। शिक्षा की स्थिति में सुधार होना चाहिए, केवल ज्ञान देने से कुछ नहीं होगा।
बिहार में अपराध पर तिवारी ने कहा कि यहां अपराधियों का तांडव खत्म नहीं हो रहा है, लेकिन अब बोलने की स्थिति नहीं है, क्योंकि सरकार को जनादेश मिला है।
केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी द्वारा अपने बेटे संतोष सुमन को बिहार सरकार में मंत्री पद छोड़ने की सलाह देने पर उन्होंने कहा कि मांझी कई बार अपनी पीड़ा व्यक्त कर चुके हैं। 202 सीटें आने के बाद गठबंधन के सहयोगी दलों की पीड़ा स्पष्ट है। भाजपा क्षेत्रीय दलों को समाप्त करने की ओर अग्रसर है। कई सहयोगी दलों को तोड़ दिया गया है। मांझी की पार्टी पर भी खतरा मंडरा रहा है। उन्हें पद का मोह छोड़कर संघर्ष के मैदान में आना चाहिए, वहां कुछ नहीं मिलने वाला है।
महाराष्ट्र निकाय चुनावों पर तिवारी ने कहा कि वहां महायुति की सरकार है, इसलिए इस प्रकार के चुनावों में सरकार का लाभ मिलता है।