क्या कोई हिंदू या भारतीय मुसलमान एसआईआर से प्रभावित होगा? समिक भट्टाचार्य
सारांश
Key Takeaways
- मतदाता सूची का पुनरीक्षण संवैधानिक प्रक्रिया है।
- कोई स्थापित हिंदू या भारतीय मुसलमान प्रभावित नहीं होंगे।
- विपक्षी पार्टियों को चुनावी हार का डर है।
- एसआईआर का उद्देश्य घुसपैठियों के नाम हटाना है।
- यह प्रक्रिया देश भर में फैलेगी।
कोलकाता, 4 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। पश्चिम बंगाल में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को एक संवैधानिक प्रक्रिया बताया है।
भाजपा नेता ने कहा कि इस प्रक्रिया के तहत जिनका निधन हो चुका है, जो अन्यत्र चले गए हैं, या जो भारतीय नागरिक नहीं हैं, उनके नाम मतदाता सूची में नहीं रहेंगे। कोई भी स्थापित हिंदू या भारतीय मुसलमान जो इस देश को अपना मानता है, प्रभावित नहीं होगा। सभी स्थापित हिंदू भारत में रहेंगे, और सभी भारतीय मुसलमान भारत में रहेंगे।
पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि बंगाल की स्थिति बहुत बदतर है, यह सबको पता है। पिछले पंचायत चुनाव में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने अर्धसैनिक बलों की 825 कंपनियां भेजने का आदेश दिया था। हर बार कानून-व्यवस्था और पश्चिम बंगाल के लोगों की सुरक्षा बनाए रखने के लिए अर्धसैनिक बलों की जरूरत पड़ती है।
इससे पहले केंद्रीय राज्य मंत्री संजय सेठ ने कहा कि पूरा देश एसआईआर का समर्थन करता है। मुझे बताइए, क्या यह पहले से ही प्रक्रिया नहीं थी, मतदाता सूची को अपडेट करना? एसआईआर क्या है? यह उन लोगों के नाम हटा देता है जो मर चुके हैं या घुसपैठिए हैं। क्या कोई विदेशी या घुसपैठिया हमारा मतदाता हो सकता है या हमारे प्रतिनिधियों का चुनाव कर सकता है? नहीं। लोग इसका समर्थन करते हैं, क्योंकि कोई नहीं चाहता कि घुसपैठिए भारत में मतदाता बनें।
उन्होंने कहा कि घुसपैठियों को हमारा जनप्रतिनिधि चुनने का अधिकार नहीं है। क्या ऐसे वोटरों को हमारे देश की जनता चाहती है? नहीं चाहती।
उन्होंने कहा कि विपक्षी पार्टियों को हार का डर है। कभी ईवीएम पर ठीकरा फोड़ देते हैं। उनको समझ आ गया है कि बिहार में उनकी हार निश्चित है, लेकिन देश की जनता एसआईआर के पक्ष में है। अभी 12 राज्यों में हो रहा है, बाद में पूरे देश में होगा।
वहीं, पश्चिम बंगाल में भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने एसआईआर को एक अच्छी पहल बताया है। उन्होंने कहा कि यह एक बहुत अच्छी पहल है क्योंकि एसआईआर का संचालन होना ही चाहिए और यह कोई अचानक होने वाली बात नहीं है। यह एक सतत प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि एसआईआर के माध्यम से कम से कम मतदाता सूची का शुद्धिकरण और सुधार तो होना ही चाहिए।