क्या कांग्रेस परिवारवाद को संविधान से ऊपर रखती है? : शहजाद पूनावाला

सारांश
Key Takeaways
- शहजाद पूनावाला ने कांग्रेस पर परिवारवाद का आरोप लगाया।
- राहुल गांधी का असली मुद्दा चुनाव आयोग नहीं, बल्कि 'ईएमआई' है।
- कर्नाटक में कांग्रेस का शासन 'लूट, झूठ और फूट' का मॉडल है।
- कांग्रेस परिवारवाद को संविधान से ऊपर रखती है।
- राजनीतिक संघर्ष का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता है।
बेंगलुरु, 20 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने शनिवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी परिवारवाद को संविधान और लोकतंत्र से ऊपर मानते हैं।
बेंगलुरु में मीडिया से बातचीत के दौरान भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि राहुल गांधी का असली मुद्दा भारत के चुनाव आयोग से नहीं, बल्कि 'ईएमआई' से है। उन्होंने बताया कि यह ईएमआई वह नहीं है जो भरी जाती है।
इस ईएमआई का मतलब इंदिरा की आपातकालीन मानसिकता और इंदिरा के पोते की हकदारी वाली मानसिकता को बनाए रखना है। गांधी परिवार मानता है कि परिवार तंत्र, लोकतंत्र से ऊपर है।
शहजाद पूनावाला ने कहा कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और इंदिरा गांधी के करीबी सहयोगी देवकांत बरुआ ने कहा था कि भारत इंदिरा है, इंदिरा भारत है। यह परिवार आज भी उसी सोच को अपनाए हुए है, जो संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों से ऊपर परिवारवाद को रखता है।
पूनावाला ने कहा कि राहुल गांधी को लगता है कि परिवार तंत्र संविधान तंत्र से ऊपर है। इसलिए यदि वे चुनाव हार जाते हैं तो चुनाव आयोग खराब हो जाता है। अगर कोर्ट में केस हार जाते हैं तो न्यायपालिका खराब है, लेकिन जब तेलंगाना में कांग्रेस चुनाव जीतती है तो उन्हें कोई परेशानी नहीं होती। झारखंड के चुनाव परिणाम के बाद भी राहुल गांधी को कोई शिकायत नहीं होती। जम्मू-कश्मीर में भी उन्हें कोई दिक्कत नहीं है।
पूनावाला ने आगे कहा कि राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट गए। कोर्ट ने उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों को 'निराधार' करार दिया। उन्होंने कर्नाटक में कांग्रेस के शासन को 'खटाखट गड्ढा मॉडल' करार देते हुए इसे 'लूट, झूठ और फूट' का मॉडल बताया।
उन्होंने बताया कि कर्नाटक में कांग्रेस का 'लूट, झूठ और फूट मॉडल' साफ दिखता है। 'लूट' का उदाहरण है मुडा, शराब, आवास और आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतें। उन्होंने कहा कि डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया आपस में कुर्सी के लिए लड़ रहे हैं और कुर्सी की लड़ाई में इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है।