क्या लालू परिवार की अनुपस्थिति में सरकारी बंगला खाली किया जा रहा है?
सारांश
Key Takeaways
- राबड़ी देवी का सरकारी आवास खाली किया जा रहा है।
- जदयू ने कई सवाल उठाए हैं।
- सरकारी संपत्तियों की सुरक्षा पर चिंता।
- विभाग से विधिवत निगरानी की मांग।
पटना, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी की अनुपस्थिति के चलते उनका आवंटित 10 सर्कुलर रोड स्थित सरकारी आवास खाली करने को लेकर जदयू ने सवाल उठाए हैं। जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने इस संदर्भ में भवन निर्माण विभाग के मंत्री को एक पत्र लिखा है, जिसमें कई सवाल और आशंकाएं व्यक्त की गई हैं।
जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने पत्र में लिखा है कि मीडिया रिपोर्टों के अनुसार यह सरकारी आवास राबड़ी देवी और उनके परिवार की अनुपस्थिति में खाली किया जा रहा है। खबरों में यह भी आया है कि रात के समय पिकअप वैन के माध्यम से आवास परिसर से गमले और पौधे निकाल लिए गए हैं। ऐसे में विभाग को स्पष्ट करना चाहिए कि ये गमले और पौधे उद्यान विभाग की संपत्ति हैं या निजी। यदि ये सरकारी संपत्ति हैं, तो किसके आदेश पर इन्हें हटाया गया?
उन्होंने यह भी पूछा कि राबड़ी देवी और उनके परिवार की अनुपस्थिति में पिकअप वैन को आवास परिसर में प्रवेश की अनुमति किसके निर्देश पर दी गई। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव और राबड़ी देवी का परिवार 2006 से इस सरकारी आवास में रह रहा है।
पत्र में जदयू नेता ने आगे लिखा है, "विभाग का यह दायित्व है कि आवास खाली करते समय यह सुनिश्चित किया जाए कि पंखा, एसी, फर्नीचर, बाथरूम फिटिंग, टोंटी, गीजर, शौचालय में लगा कमोड, खिड़की-दरवाजों के पर्दे सहित अन्य सभी सरकारी सामग्री पूरी तरह से सुरक्षित रहे।"
उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव पहले भी निराधार आरोप लगाते रहे हैं। ऐसे में जब राबड़ी देवी और उनका परिवार आवास में नहीं हैं और यह आवास खाली किया जा रहा है, तो भविष्य में यह आरोप लग सकता है कि सरकारी सामग्री उनके द्वारा नहीं, बल्कि विभागीय लापरवाही या किसी साजिश के तहत हटाई गई, जिससे राजनीतिक विवाद हो सकता है।
पत्र के अंत में नीरज कुमार ने विभाग से आग्रह किया, "भवन निर्माण विभाग को चाहिए कि संपूर्ण प्रक्रिया की विधिवत निगरानी की जाए, सभी परिसंपत्तियों का भौतिक सत्यापन किया जाए और आवश्यकतानुसार दस्तावेजीकरण भी सुनिश्चित किया जाए, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार के भ्रम, आरोप या राजनीतिक दुष्प्रचार की गुंजाइश न रहे।"