क्या मध्य प्रदेश में प्रशासनिक अराजकता है? : जीतू पटवारी

सारांश
Key Takeaways
- प्रशासनिक अराजकता का मुद्दा गहराता जा रहा है।
- मुख्यमंत्री के तबादले की स्थिति पर सवाल उठाए गए।
- ओबीसी आरक्षण पर गंभीर चिंताएं व्यक्त की गई हैं।
भोपाल, 7 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के तबादलों को लेकर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री मोहन यादव और उनकी सरकार पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि राज्य में प्रशासनिक अराजकता का माहौल है।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पटवारी ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि राज्य में लगातार आईएएस अफसरों के तबादले हो रहे हैं और मुख्यमंत्री सचिवालय के चार प्रमुख सचिवों को डेढ़ साल में बदल दिया गया है। यह इस बात का संकेत है कि मुख्यमंत्री का चयन सही नहीं है, या फिर जो मुख्यमंत्री की इच्छा है, वह पूरी नहीं हो पा रही है।
उन्होंने आगे कहा कि इस प्रकार के तबादले दर्शाते हैं कि मध्य प्रदेश में कार्यशैली कैसी है। यह बताता है कि राज्य में अराजकता है, और राज्य सही दिशा में नहीं चल रहा है, बल्कि गर्त में जा रहा है। प्रदेश में न तो प्रशासन की स्थिति संतोषजनक है, न ही कानून व्यवस्था, आम आदमी को राहत नहीं मिल रही है, और न ही युवाओं को रोजगार। किसानों को भी सहायता नहीं मिल रही है। यहाँ केवल इवेंट चल रहे हैं, और विज्ञापन भी केवल अखबारों में प्रकाशित होते हैं, जो आम जनता नहीं देखती।
पटवारी ने ओबीसी वर्ग के आरक्षण पर भी चिंता जताई और कहा कि राज्य में ओबीसी के साथ अत्याचार और अनाचार हो रहे हैं। विधानसभा में पारित कानून पर मुख्यमंत्री का बयान उनकी समझ को दर्शाता है। सीएम ने कहा, 'क्या एक पर्ची पर चार लाइनों से कोई कानून बनता है?' जबकि वास्तविकता यह है कि यह कानून विधानसभा में अध्यादेश के माध्यम से पारित हुआ था।
पटवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री का यह बयान राजनीतिक अपरिपक्वता को दर्शाता है, क्योंकि उनका अपना निर्णय पर्ची के माध्यम से हुआ है।