क्या महागठबंधन का घोषणापत्र बिना किसी विजन के है? भाजपा सांसद का बयान
सारांश
Key Takeaways
- महागठबंधन का घोषणापत्र भाजपा सांसद द्वारा निरर्थक बताया गया है।
- रोजगार का वादा, लेकिन क्रियान्वयन की योजना नहीं।
- तेजस्वी यादव के बयानों पर भाजपा सांसद की टिप्पणी।
- बिहार की जनता का फोकस एनडीए सरकार पर है।
- राजनीतिक विचारों का महत्व।
मुजफ्फरपुर, 29 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए महागठबंधन द्वारा जारी घोषणापत्र को निरर्थक करार दिया है।
राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि इस घोषणापत्र में कोई विजन नहीं है। उन्हें इससे कोई लाभ होता नहीं दिख रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार में महागठबंधन की आसन्न हार स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है, और इसी हार को देखते हुए शायद वे ऐसे शब्दों का उपयोग कर रहे हैं।
राजद नेता तेजस्वी यादव के चुनावी वादों पर भाजपा सांसद ने कहा कि महागठबंधन के कई लोग इसी तरह बोल रहे हैं। उनके बयानों पर विस्तार से टिप्पणी करने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया कि किरायादारी कानून को लेकर अचानक इतनी चिंता क्यों है, यह समझ से परे है। कभी वे रोजगार की बात करते हैं, लेकिन रेट लिस्ट जारी नहीं करते। कभी किरायेदारी के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। ऐसा लगता है कि उनका एजेंडा उलझा हुआ है, और उनका घोषणापत्र भी असंगत है।
उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव ने अपने घोषणापत्र में रोजगार का वादा तो किया है, लेकिन क्रियान्वयन की कोई स्पष्ट योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि नौकरियां दी जाएंगी, लेकिन यह नहीं बताया गया कि प्रत्येक पद के लिए कितना धन आवंटित किया जाएगा। उदाहरण के लिए, शिक्षकों, डिप्टी कलेक्टरों या इंस्पेक्टरों पर कितना खर्च होगा।
राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि फोकस बिहार की जनता पर होना चाहिए। चर्चा मुख्य रूप से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बीच है, बाकी सब गौण है। जनता ने मोटे तौर पर मन बना लिया है कि बिहार में एनडीए की सरकार बनेगी।
उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव के समय का जंगलराज पूरे बिहार ने देखा है। यही वजह है कि पूरा बिहार आज उनके भय और जंगलराज के खिलाफ है। तेजस्वी यादव तो अपनी कोई पहचान बना नहीं पाए हैं, इसलिए यह चुनाव लालू यादव के खिलाफ है।
इससे पहले भाजपा सांसद ने जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर पर निशाना साधते हुए कहा कि पीके को बिहार को समझने के लिए एक चुनाव लड़ना चाहिए था। उन्होंने प्रशांत किशोर के चुनाव नहीं लड़ने के निर्णय पर अफसोस जताते हुए कहा कि यह चिंता की बात है।