क्या महागठबंधन केवल वोट बैंक की राजनीति करता है? : चिराग पासवान
सारांश
Key Takeaways
- जातियों का उपयोग वोट बैंक के लिए किया जा रहा है।
- महागठबंधन का विकास से कोई लेना-देना नहीं है।
- प्रदेश की जनता समझदार हो गई है।
- राजद ने मुसलमानों के हितों की अनदेखी की है।
- चुनाव प्रचार में देरी महागठबंधन की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को दर्शाती है।
पटना, २४ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने शुक्रवार को महागठबंधन के खिलाफ तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि ये लोग केवल जाति के नाम पर राजनीति करना जानते हैं और ऐसे उम्मीदवारों का चयन करते हैं जो उनके राजनीतिक लाभ के लिए काम करें। ये लोग जातियों का उपयोग केवल अपने वोट बैंक के लिए करते हैं।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत में चिराग पासवान ने कहा कि ये लोग मुसलमानों के मुद्दों पर बात करेंगे, लेकिन जब जनप्रतिनिधित्व की बात आती है, तो ये चुप हो जाते हैं। ये लोग कुछ जातियों को डरा कर अपने पक्ष में रखना चाहते हैं और इनका विकास से कोई लेना-देना नहीं है। यह साफ है कि ये लोग केवल जाति के नाम पर राजनीति करने में विश्वास रखते हैं। लेकिन, मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि आज की जनता समझदार हो गई है और ऐसे लोगों को किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं करेगी।
उन्होंने कहा कि मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया गया, तो वे सब कुछ भूल गए। अब वो अपने समाज की बात नहीं कर रहे हैं और उन्हें अपने समाज के लोगों की स्थिति की परवाह नहीं है। इससे यह स्पष्ट होता है कि ये लोग राजनीति में केवल अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए हैं।
चिराग पासवान ने कहा कि अभी तक इन लोगों ने चुनाव प्रचार शुरू नहीं किया है। मेरी जानकारी के अनुसार, ये लोग आज से चुनाव प्रचार शुरू करेंगे। चुनावी गतिविधियों में देरी यह दर्शाती है कि इन्हें जनता की परवाह नहीं है। ये लोग केवल अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए राजनीति में हैं, जिसे जनता अब स्वीकार नहीं करने वाली है।
उन्होंने कहा कि अब प्रदेश के मुसलमानों को जागरूक होना चाहिए। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि ये वही राजद है, जिसे मेरे पिता ने २००४ में कहा था कि एक मुस्लिम को मुख्यमंत्री बना दीजिए। अगर उस समय ऐसा किया गया होता, तो आज समझ पाते कि इन्हें सच में मुसलमानों की चिंता है।
उन्होंने आगे कहा कि इन लोगों के कहने और करने में बहुत अंतर है। मुसलमान इन लोगों के लिए केवल वोट बैंक हैं। मैं कहता हूं कि जितनी जल्दी मुसलमान ये बात समझ जाएं, उतना ही बेहतर होगा। हमने जितनी भी कल्याणकारी योजनाएं बनाई हैं, उनका लाभ सभी को मिलना चाहिए।