क्या ममता बनर्जी परिवारवाद के खिलाफ बोलने वाली नेता अब खुद वंशवाद की प्रतीक बन गई हैं?

सारांश
Key Takeaways
- परिवारवाद और भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रही ममता बनर्जी।
- टीएमसी में लोकतंत्र और विचारधारा का अभाव।
- जम्मू-कश्मीर में विकास की दिशा में मोदी सरकार का प्रयास।
- गुपकार गठबंधन की सरकार का रिपोर्ट कार्ड खाली।
- भारत की सुरक्षा और सीमाओं की रक्षा का मुद्दा।
नई दिल्ली, 5 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) पर परिवारवाद और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का गंभीर आरोप लगाया है। समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में तरुण चुघ ने कहा कि ममता बनर्जी, जो कभी 80-90 के दशक में परिवारवाद के खिलाफ आवाज उठाती थीं, अब स्वयं बंगाल में वंशवाद की सबसे बड़ी प्रतीक बन गई हैं।
उन्होंने दावा किया कि टीएमसी में अब न लोकतंत्र बचा है, न संगठन और न ही कोई विचारधारा। पार्टी केवल ममता और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी के परिवार तक सिमट गई है। क्या बंगाल में टीएमसी को एक भी काबिल नेता नहीं मिला? टीएमसी अब सिर्फ भ्रष्टाचार, तुष्टिकरण और सत्ता का दुरुपयोग करने तक सिमटकर रह गई है।
तरुण चुघ ने जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर भी विपक्ष को आड़े हाथों लिया और कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर को आतंकवाद से मुक्त कर विकास के रास्ते पर ला खड़ा किया है। दुर्गम पहाड़ियों तक रेल पहुंची है, बुनियादी ढांचा मजबूत हुआ है और कनेक्टिविटी बढ़ी है।
उन्होंने गुपकार गठबंधन और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि एक साल बाद भी उनकी सरकार का रिपोर्ट कार्ड खाली है। अब्दुल्ला सरकार अपने वादों को पूरा करने में नाकाम रही है और अपनी नाकामी का ठीकरा उपराज्यपाल (एलजी) पर फोड़ रही है, जबकि एलजी के पास केवल पुलिस का नियंत्रण है। बाकी सभी विभाग अब्दुल्ला सरकार के पास हैं, फिर भी जनहित के कार्य नहीं हो रहे।
भाजपा नेता ने फारूक अब्दुल्ला पर भी तीखा हमला बोला और कहा कि भारत अपनी सुरक्षा और सीमाओं की रक्षा करना अच्छी तरह जानता है और इसे किसी दूसरे देश की कृपा की जरूरत नहीं।
इसके अलावा, उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा कि मोदी सरकार और भारतीय सेना ने आतंकवाद के खिलाफ मजबूत कार्रवाई कर पाकिस्तान के मंसूबों को नाकाम किया है।
उन्होंने कांग्रेस और इंडी गठबंधन पर पाकिस्तान समर्थक रुख अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि राहुल गांधी, फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को यह तय करना होगा कि वे भारत के साथ हैं या दुश्मनों के सुर में सुर मिला रहे हैं। जम्मू-कश्मीर की जनता वादाखिलाफी से त्रस्त है, लेकिन अब्दुल्ला सरकार केवल राज्य के दर्जे की मांग में उलझी है, जबकि जनहित के कार्यों पर ध्यान नहीं दे रही।