क्या मनुवाद और बहुजनवाद के बीच देश में संघर्ष है? : उदित राज
 
                                सारांश
Key Takeaways
- उदित राज ने देश में बढ़ती घटनाओं को उठाया।
- मनुवाद और बहुजनवाद के बीच संघर्ष की चर्चा।
- सच्चाई के लिए एसआईटी जांच की जरूरत।
- 30 नवंबर को रैली का आयोजन।
- बिहार चुनाव में सीएम नीतीश की स्थिति पर सवाल।
नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के नेता उदित राज ने गुरुवार को एडीजी पूरन कुमार आत्महत्या मामले, रायबरेली लिंचिंग मामले, और कथित सीजेआई जूता कांड पर मीडिया से चर्चा की।
उन्होंने बताया कि देश में एक महीने के भीतर तीन बड़ी घटनाएं घटित हुईं। हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस पूरन कुमार को आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया। हरिओम वाल्मिकी को बेरहमी से पीट-पीटकर मार दिया गया। ये घटनाएं क्यों बढ़ रही हैं? इसी क्रम में, आज पूरे देश के विचारक, सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता एकत्र हुए हैं। 30 नवंबर को एक बड़ी रैली आयोजित की जाएगी।
उन्होंने कहा कि आज मनुवाद और बहुजनवाद के बीच एक संघर्ष चल रहा है। हम लोगों ने आईपीएस पूरन कुमार को श्रद्धांजलि अर्पित की। उनके परिवार को न्याय नहीं मिल पा रहा है। एसआईटी का गठन कर दिया गया है, लेकिन जांच का परिणाम अब तक सामने नहीं आया है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर पूरन कुमार के मामले को उठाया जाएगा। हाईकोर्ट के जज के अधीन एसआईटी का गठन होना चाहिए और जांच होनी चाहिए। तभी सच्चाई सामने आ सकेगी। हमने हरियाणा सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।
उदित राज ने कहा कि दलित, ओबीसी, अल्पसंख्यक, एवं आदिवासी संगठनों के परिसंघ (डोमा) द्वारा आयोजित बैठक में देश भर के सामाजिक कार्यकर्ता, विचारक और बुद्धिजीवी शामिल हुए। बैठक में दलित उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं पर चर्चा की गई और एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया गया। पूरन कुमार और हरिओम वाल्मीकि को श्रद्धांजलि दी गई।
बिहार विधानसभा चुनाव पर उदित राज ने कहा कि मैं 200 प्रतिशत निश्चितता के साथ कहता हूं, क्योंकि बिहार में उनका कोई वास्तविक जनाधार नहीं है। चुनाव केवल सीएम नीतीश कुमार के आधार पर लड़ा जा रहा है।
सीएम नीतीश कुमार प्रमुख सहयोगी के रूप में चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन इस बार सीटों का बंटवारा चिराग पासवान को ज्यादा सीटें देकर किया गया है। इस तरह भाजपा बड़े भाई की भूमिका में आ गई है। इस बार सीएम नीतीश कुमार का वही हाल होगा जो एकनाथ शिंदे का महाराष्ट्र में हुआ।
 
                     
                                             
                                             
                                             
                                             
                             
                             
                             
                            