क्या सुरक्षा बलों की कार्रवाई से घबराए माओवादी नक्सली सरकार से वार्ता करना चाहते हैं?

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क्या सुरक्षा बलों की कार्रवाई से घबराए माओवादी नक्सली सरकार से वार्ता करना चाहते हैं?

सारांश

भाकपा माओवादी नक्सली संगठन ने एक बार फिर सरकार से वार्ता के लिए शांति प्रस्ताव रखा है। क्या यह एक नया मोड़ है? झारखंड और छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों की कार्रवाइयों के परिणामस्वरूप नक्सलियों की स्थिति कमजोर हुई है। इस बार नक्सलियों ने एक महीने का युद्धविराम मांगा है।

Key Takeaways

  • नक्सलियों ने एक महीने का युद्धविराम मांगा है।
  • सुरक्षाबलों की कार्रवाई ने नक्सलियों को पीछे हटने पर मजबूर किया।
  • सरकार से वार्ता की इच्छा जताई गई है।
  • नक्सलियों ने जनहित के मुद्दों पर संघर्ष करने का निर्णय लिया।
  • सरकार की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

रांची, 17 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। मार्च, 2026 तक झारखंड समेत सम्पूर्ण भारत को नक्सल मुक्त करने के उद्देश्य से सुरक्षाबलों और पुलिस द्वारा चलाई जा रही मुहिम ने नक्सली संगठनों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया है। कई वर्षों से हिंसा के रास्ते पर चलने वाले भाकपा माओवादी नक्सली संगठन ने एक बार फिर सरकार से वार्ता के लिए शांति का प्रस्ताव रखा है।

भाकपा माओवादी की केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता अभय ने प्रेस नोट में कहा कि नक्सली हथियार छोड़कर बातचीत के लिए तैयार हैं। पत्र में उल्लेख किया गया है कि पार्टी एक महीने के लिए औपचारिक युद्धविराम की मांग कर रही है। साथ ही प्रारंभिक बातचीत वीडियो कॉल के माध्यम से कराने का सुझाव भी दिया गया है। पिछले छह महीनों में यह प्रस्ताव संगठन की ओर से पाँचवीं बार सामने आया है।

प्रेस नोट में बताया गया है कि मार्च 2025 के अंतिम सप्ताह से ही पार्टी शांति वार्ता के प्रयास कर रही है। महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू के एनकाउंटर के बाद यह मामला और भी गंभीर हो गया है। नक्सलियों ने लिखा है कि सरकार से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है, बल्कि सैन्य अभियान और बढ़ा दिए गए हैं। इसके बावजूद, पार्टी ने बदलती परिस्थितियों को देखते हुए हथियार छोड़ने का निर्णय लिया है।

पत्र में यह भी कहा गया है कि अब संगठन जनहित के मुद्दों पर अन्य राजनीतिक दलों और आंदोलनों के साथ मिलकर संघर्ष करेगा। नक्सलियों ने केंद्रीय गृह मंत्री या उनके नियुक्त प्रतिनिधियों से सीधे वार्ता की इच्छा जताई है। उनका कहना है कि पार्टी को राय बनाने के लिए साथियों और जेल में बंद कार्यकर्ताओं से सलाह लेने की आवश्यकता है, और इसके लिए एक माह का समय मांगा गया है।

नक्सलियों ने सरकार से अपील की है कि इस दौरान तलाशी अभियान और हमले बंद किए जाएं, तभी शांति प्रक्रिया आगे बढ़ सकेगी। फिलहाल, सरकार की ओर से इस पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।

गौरतलब है कि सुरक्षाबलों ने पिछले 15 दिनों में झारखंड और छत्तीसगढ़ में अलग-अलग मुठभेड़ों में 15 से अधिक नक्सलियों को मार गिराया है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि नक्सली संगठनों की हालिया गतिविधियाँ सरकार के प्रति उनके डर का संकेत हैं। सुरक्षाबलों की कार्रवाई ने उन्हें मजबूर किया है कि वे संवाद का रुख अपनाएँ। यह समय है जब सरकार और नक्सलियों को एक-दूसरे से बातचीत करनी चाहिए ताकि शांति स्थापित हो सके।
NationPress
17/09/2025

Frequently Asked Questions

भाकपा माओवादी का शांति प्रस्ताव क्या है?
भाकपा माओवादी ने एक महीने के लिए औपचारिक युद्धविराम की मांग की है और सरकार से वार्ता के लिए तैयार होने का प्रस्ताव रखा है।
सुरक्षाबलों की कार्रवाइयों का प्रभाव क्या है?
सुरक्षाबलों की कार्रवाइयों ने नक्सली संगठनों को कमजोर कर दिया है, जिससे वे वार्ता का प्रस्ताव रखने के लिए मजबूर हुए हैं।
क्या सरकार ने नक्सलियों के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया दी है?
अभी तक सरकार की ओर से नक्सलियों के प्रस्ताव पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
नक्सलियों ने किस प्रकार की वार्ता की इच्छा जताई है?
नक्सलियों ने केंद्रीय गृह मंत्री या उनके प्रतिनिधियों के साथ सीधे वार्ता करने की इच्छा जताई है।
नक्सली किस वजह से वार्ता के लिए तैयार हुए हैं?
नक्सलियों ने सुरक्षाबलों की कार्रवाई और बढ़ते दबाव के कारण वार्ता के लिए तैयार होने का निर्णय लिया है।