क्या मराठा आरक्षण मामले में जल्द निकलेगा समाधान? जरांगे के वकील का बयान

सारांश
Key Takeaways
- बॉम्बे हाईकोर्ट में मराठा आरक्षण पर सुनवाई हुई।
- 90 प्रतिशत प्रदर्शनकारी शहर छोड़ चुके हैं।
- जरांगे ने शांति बनाए रखने की अपील की है।
- अदालत ने कानून के पालन पर जोर दिया।
- सुनवाई अगले दिन तक स्थगित कर दी गई।
मुंबई, 2 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। बॉम्बे हाईकोर्ट में चल रहे मराठा आरक्षण आंदोलन पर मंगलवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और जस्टिस आरती साठे की खंडपीठ ने सुनवाई की। जरांगे के वकील सतीश मानशिंदे ने अदालत में यह जानकारी दी कि 90 प्रतिशत प्रदर्शनकारी जा चुके हैं। उन्होंने इस बात की उम्मीदसमाधान निकलने वाला है।
सुनवाई के दौरान मराठा आंदोलनकारी मनोज जरांगे के नेतृत्व में चल रहे प्रदर्शन पर गहरी चर्चा हुई। सरकार की ओर से महाधिवक्ता डॉ. बीरेंद्र सराफ और जरांगे की ओर से वकील सतीश मानशिंदे ने अपने-अपने पक्ष रखे।
मानशिंदे ने अदालत को बताया कि जरांगे ने अपने समर्थकों से मुंबई के बाहर गाड़ियां पार्क करने और शांति बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि 90 प्रतिशत प्रदर्शनकारी शहर छोड़ चुके हैं और कैबिनेट सचिव उनके मुवक्किल से मिलने आ रहे हैं, जिससे समाधान की उम्मीद है। हालांकि, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने यह सवाल उठाया कि प्रदर्शनकारी 24 घंटे की अनुमति के बावजूद अब तक क्यों डटे हैं। उन्होंने पूछा, "क्या आपको वहां डेरा डालने की इजाजत है? 5,000 लोगों को दूसरी जगह ले जाना क्यों संभव नहीं?"
जस्टिस चंद्रशेखर ने कानून के शासन पर जोर देते हुए कहा कि अदालत के आदेशों का पालन होना चाहिए। उन्होंने जरांगे के प्रभाव की सराहना की, लेकिन उनके प्रभाव के दुरुपयोग पर चिंता जताई। अदालत ने यह भी पूछा कि जब आरक्षण मामला अदालत में लंबित है, तो जरांगे ऐसी मांगें क्यों उठा रहे हैं। मानशिंदे ने सरकारी वकील पर भरोसा जताया और सुनवाई को अगले दिन तक स्थगित करने की मांग की।
महाधिवक्ता सराफ ने बताया कि पुलिस ने बैनर-पोस्टर लगाकर और घोषणाएं करके भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन कुछ लोग अदालत के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जरांगे की अपील से ही भीड़ पूरी तरह हट सकती है, क्योंकि वे बेहद प्रभावशाली हैं। हालांकि, अदालत ने पुलिस और आयोजकों के रवैये पर नाराजगी जताई और कहा कि 5,000 से बढ़कर एक लाख लोगों की भीड़ की जानकारी पहले क्यों नहीं दी गई।
कोर्ट ने अंत में सुनवाई को अगले दिन सुबह तक स्थगित कर दिया। आदेश में यह उल्लेख किया गया कि जरांगे ने समर्थकों से कानून का पालन करने की अपील की है। साथ ही, यह भी कहा गया कि जरांगे और उनके संगठन को सरकार की उप समिति से बातचीत के लिए समय चाहिए। अदालत ने यह भी संकेत दिया कि आंदोलन के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को जवाबदेह ठहराया जा सकता है। मामले में अनुपालन रिपोर्ट शाम तक दाखिल करने का निर्देश दिया गया।