क्या प्रधानमंत्री मोदी का बिहार दौरा सिर्फ 'खाली पोटली' साबित हुआ? - मनोज झा

सारांश
Key Takeaways
- बिहार में विकास योजनाओं की आवश्यकता है।
- प्रधानमंत्री मोदी का दौरा खाली प्रतीत हुआ।
- राजद ने मनो ज झा के माध्यम से कड़ी प्रतिक्रिया दी।
- बिहार के गरीबों और किसानों की आवाज़ को पहचानना आवश्यक है।
- सरकार को पारदर्शिता से काम करने की जरूरत है।
पटना, 18 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को बिहार के मोतिहारी में जनसभा को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने 7200 करोड़ रुपए की योजनाओं की घोषणा की। प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे को राजद के राज्यसभा सांसद व प्रवक्ता मनोज झा ने भावविहीन, दर्शनविहीन और भ्रम की स्थिति पैदा करने वाला बताया।
राजद कार्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 7200 करोड़ की योजना को 'सौगात' कहकर लोकतंत्र का उपहास किया है। सभी को ज्ञात है कि बिहार के गरीब, किसान, मजदूर, डॉक्टर, वकील और व्यापारी की मेहनत की कमाई के टैक्स से विकास योजनाएं चलती हैं, लेकिन इस तरह की शब्दावली का प्रयोग करना उचित नहीं है।
उन्होंने पीएम मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जो पटना को पुणे बनाने की बात करते हैं, वे बताएं कि पारस अस्पताल में आपने बिहार में कभी ऐसी डरावनी छवियां देखी हैं? आज अपराधी बिहार में बेखौफ हैं और उनके डर के कारण लोग डरावनी जिंदगी जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री किस मुंह से 'जंगलराज' की बात करेंगे जबकि बिहार में 'महाजंगलराज' जैसी स्थिति है। बिहार में दिल्ली दरबार से सरकार चल रही है।
उन्होंने आगे कहा कि 11 वर्ष पहले मोतिहारी में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि मोतिहारी चीनी मिल चालू करवा कर उसी चीनी की चाय पीयेंगे, लेकिन आज तक मोतिहारी के लोग इंतजार कर रहे हैं।
राजद नेता ने कहा कि तेजस्वी यादव ने नौकरी, रोजगार, विकास और बिहार में महिलाओं तथा गरीबों के लिए जो लकीर खींची है, उसके पीछे-पीछे चलने के लिए डबल इंजन सरकार मजबूर है। 17 महीने में तेजस्वी यादव ने 5.50 लाख नौकरी दी और 3.50 लाख प्रक्रियाधीन छोड़कर आए। प्रधानमंत्री, आपको तथ्यों से हटकर जो मिथ्या बातें कीं, वह उचित नहीं हैं। आपको ईमानदारी से यह बताना चाहिए था कि औद्योगिक क्षेत्र और पूंजी निवेश के मामले में गुजरात के लिए सब कुछ करते हैं, लेकिन बिहार के लिए कुछ नहीं।