क्या नेशनल कॉन्फ्रेंस न्यूनतम अपेक्षाओं को पूरा करने में विफल रही है: महबूबा मुफ्ती?
सारांश
Key Takeaways
- महबूबा मुफ्ती ने सरकार की नीतियों की आलोचना की है।
- नेशनल कॉन्फ्रेंस ने चुनावी वादों को पूरा करने में विफलता दिखाई है।
- कश्मीर की आर्थव्यवस्था पहले से ही संकट में है।
- सरकार ने प्रीपेड मीटर लगाने पर अड़ियल रुख अपनाया है।
- कड़ाके की ठंड में घरों को ध्वस्त किया जा रहा है।
नई दिल्ली, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जम्मू और कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की महबूबा मुफ्ती ने उमर अब्दुल्ला सरकार पर आक्षेप किया है। महबूबा ने कहा कि ‘नेशनल कॉन्फ्रेंस न्यूनतम अपेक्षाओं को भी पूरा करने में असफल रही है। चाहे वह आरक्षण हो, बेरोजगारी, बिजली या शासन व्यवस्था, इसने राज्य का दर्जा न होने का बहाना बनाकर अपने चुनावी वादों को पूरा करने में असमर्थता को छुपाया है।
इस बीच, जम्मू और कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (जम्मू-केपीडीपी) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर ‘स्पीक अप’ शीर्षक से एक समाचार पत्रिका भी साझा की है। इस पत्रिका में पीडीपी ने नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार को कश्मीर के लोगों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों की याद दिलाई है।
महबूबा ने पत्रिका में बताया कि जम्मू-कश्मीर के लोगों ने नई सरकार से बहुत उम्मीदें लगाई थीं, जो पूरी नहीं हो पाई। पत्रिका में लिखा गया कि जैसे ही कड़ाके की ठंड आई, कश्मीरी लोग उम्मीद से भर उठे। शायद सरकार बिजली की खरीद की घोषणा करेगी और बिजली कटौती को कम करेगी, क्योंकि इस वर्ष सर्दी पहले से अधिक और लंबी होने की संभावना थी, लेकिन अफसोस, उनकी उम्मीदें धरी रह गईं। सरकार ने प्रीपेड मीटर लगाने पर अड़ियल रुख अपनाया है। हमारी अर्थव्यवस्था पहले ही संकट में है, कश्मीर में पर्यटन गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है, राष्ट्रीय राजमार्ग के बंद होने के कारण बागवानी को भारी नुकसान हुआ है, और लाल किले के विस्फोट का असर अभी भी बना हुआ है। ऐसे में सरकार अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के बजाय प्रीपेड मीटरों पर अड़ी हुई है, मानो उपरोक्त घटनाओं ने हमारी अर्थव्यवस्था को पहले ही बर्बाद न कर दिया हो।
जब इस सरकार को आरक्षण और बेरोजगारी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को हल करने पर ध्यान देना चाहिए था, तब उसने कड़ाके की ठंड में घरों को ध्वस्त करने का ही सबसे बेहतर रास्ता समझा, जिससे असहाय परिवार बेघर हो गए।
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