क्या नया उपराष्ट्रपति भाजपा का नहीं, भारत का होना चाहिए?

सारांश
Key Takeaways
- सी.पी. राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए द्वारा उम्मीदवार बनाया गया।
- सुखदेव भगत ने उन्हें शुभकामनाएं देते हुए निष्पक्षता पर जोर दिया।
- लोकतंत्र की गरिमा का सम्मान होना चाहिए।
- राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा महत्वपूर्ण है।
- चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाए गए।
नई दिल्ली, 18 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने सी.पी. राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया है। इस पर कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने उन्हें शुभकामनाएं दीं और कहा कि सी.पी. राधाकृष्णन को निर्वाचित होने पर पूरी निष्पक्षता के साथ कार्य करना चाहिए।
सुखदेव भगत ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं और यह अपेक्षा करता हूं कि वे भारत के दूसरे सर्वोच्च पद पर यदि निर्वाचित होते हैं तो उस पद की गरिमा का सम्मान करें। वे भारत के उपराष्ट्रपति होंगे, न कि भारतीय जनता पार्टी के उपराष्ट्रपति। लोकतंत्र की खूबसूरती और उस पद की गरिमा के लिए हम यही अपेक्षा करते हैं। उन्हें लोकतांत्रिक परंपराओं का पालन करना चाहिए, न कि जगदीप धनखड़ की तरह भाजपा के एजेंट के रूप में कार्य करना चाहिए। इन पदों पर निष्पक्षता होनी चाहिए और लोकतांत्रिक मूल्यों का सम्मान होना चाहिए।"
चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर कांग्रेस सांसद ने कहा, "एक पुरानी फिल्म का संवाद है कि जिनके घर शीशे के होते हैं, वे दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंकते। यह चुनाव आयोग पर पूरी तरह फिट बैठता है। आयोग को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वह एफिडेविट देने के लिए तैयार है या नहीं। आयोग को भाजपा का एजेंट नहीं बनना चाहिए।"
उन्होंने राहुल गांधी की बिहार में निकाली जा रही वोटर अधिकार यात्रा पर कहा, "आज के राजनीतिक परिदृश्य में राहुल एक स्पष्टवादी, दृढ़ निश्चयी और दूरदर्शी नेता हैं। वे भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से लोकतंत्र और संविधान की रक्षा की बात कर रहे हैं।"