क्या निमिषा प्रिया मामले में सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप करेगा? सुनवाई जनवरी 2026 में!

सारांश
Key Takeaways
- निमिषा प्रिया की फांसी की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाली।
- अगली सुनवाई जनवरी 2026 को होगी।
- मानवाधिकार कार्यकर्ता निमिषा की रिहाई के लिए प्रयासरत हैं।
- यमन में सुरक्षा स्थिति गंभीर है।
- केंद्र सरकार को डिप्लोमेटिक चैनल के जरिए बातचीत करने की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, 14 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। केरल की निवासी निमिषा प्रिया को यमन में फांसी की सजा सुनाए जाने के मामले में दायर की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई टल गई। अब अगली सुनवाई जनवरी 2026 में होगी।
अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने बताया कि इस मामले में एक नया मध्यस्थ सामने आया है। इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि अब तक कोई नकारात्मक जानकारी नहीं आई है। सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2026 को सुनवाई की तारीख तय करते हुए कहा कि यदि इस अवधि में कोई नया विकास होता है, तो अदालत से सुनवाई की मांग की जा सकती है।
निमिषा प्रिया की सहायता के लिए सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
निमिषा के वकील ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को निर्देश दे कि वह डिप्लोमेटिक चैनल के माध्यम से यमन सरकार से संपर्क करे और फांसी पर रोक लगाने के लिए कार्रवाई की जाए।
नर्स निमिषा प्रिया को यमन की अदालत ने 2017 में एक नागरिक की हत्या के मामले में फांसी की सजा सुनाई थी। उनकी फांसी 16 जुलाई 2025 को निर्धारित थी, लेकिन इसे अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया गया था। इसके बाद मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और सामाजिक संगठनों ने सरकार से निवेदन किया कि वह इस मामले में राजनयिक और कानूनी प्रयासों से निमिषा की रिहाई सुनिश्चित करे या उनकी सजा को कम कराए।
निमिषा प्रिया की रिहाई के लिए 'सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल' ने केंद्र सरकार से यमन जाने के लिए प्रतिनिधिमंडल की अनुमति मांगी थी, ताकि यमन के कानून के अनुसार पीड़ित परिवार से क्षमादान प्राप्त हो सके। हालांकि, विदेश मंत्रालय ने पहले यमन में गंभीर सुरक्षा जोखिमों का हवाला देते हुए काउंसिल के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था।
मंत्रालय ने काउंसिल को सूचित किया था कि वर्तमान परिस्थितियों में युद्धग्रस्त देश की यात्रा की अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि यमन में सशस्त्र संघर्ष और राजनीतिक अस्थिरता के कारण वहां किसी को भेजना बहुत ही खतरनाक है।