क्या न्याय पाने के लिए विरोध प्रदर्शन करने से रोका जाता है? - पुष्पेंद्र सरोज
सारांश
Key Takeaways
- महिला सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
- शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का अधिकार सभी का है।
- कुलदीप सिंह सेंगर का समर्थन सरकार की मंशा को दर्शाता है।
- पीड़िता के परिवार को न्याय दिलाने की आवश्यकता है।
- सरकार को अपने वादों पर खरा उतरना चाहिए।
नई दिल्ली, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद पुष्पेंद्र सरोज ने उन्नाव रेप मामले में पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए हो रहे विरोध प्रदर्शनों का उल्लेख करते हुए कहा कि आज की स्थिति यह है कि जिस सरकार ने यह वादा किया था कि महिला सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण उनके लिए महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, वहां यदि कोई विरोध प्रदर्शन हो रहा है तो पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लेती है। इस सरकार में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन का भी कोई अधिकार नहीं है।
सपा सांसद का यह बयान उस समय आया है जब सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव रेप केस के दोषी पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की जमानत पर रोक लगाई।
सपा सांसद ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए कहा कि मुझे बहुत दुख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि पूर्व विधायक और प्रभावशाली नेता इस रेप केस में शामिल रहे हैं। जिस प्रकार से पूरे परिवार को उजाड़ दिया गया, वह अत्यंत परेशान करने वाला है।
उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक केवल खेल चल रहा है। पीड़िता को अब तक न्याय नहीं मिला है। पूरे देश ने उम्मीद के साथ देखा था कि जब महिलाओं की बात आती है तो यह सरकार अपने लोगों को भी नहीं छोड़ती, लेकिन अब यह स्पष्ट हो रहा है कि कुलदीप सेंगर का समर्थन अभी भी किया जा रहा है, जिससे सरकार की मंशा साफ हो गई है।
उन्होंने एडीआर की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि यह वही पार्टी है जो 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का नारा देती है। देश का दुर्भाग्य है कि लोगों को पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए प्रदर्शन करना पड़ रहा है। किस तरह से पीड़िता के परिवार को डर-डर कर जीना पड़ा। हाईकोर्ट के फैसले के बाद लोगों को मजबूरन सड़कों पर आना पड़ा।
उन्होंने कहा कि निर्भया मामले में दिल्ली की जनता सड़कों पर उतरी थी। इस केस में विरोध करने पर रोका जा रहा है। भय का माहौल है। जब सरकार अपने लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पा रही है तो दूसरों को न्याय कैसे दिलाएगी?